वॉशिंगटन : अमेरिका के हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर पश्चिम एशिया में वॉशिंगटन तीन हजार सैनिक और भेज रहा है. यह सैनिक उत्तरी कैरोलिना के फोर्ट ब्रैग की 82वीं एयरबोर्न डिवीजन से हैं. हालांकि, पेंटागन से अभी इस बात की घोषणा नहीं की गई है कि अमेरिका मध्यपूर्व में अपने सैनिक भेज रहा है. वहीं इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि वह ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहते हैं.
ट्रंप ने कहा, 'हमने एक युद्ध को रोकने के लिए कल रात कार्रवाई की, न कि युद्ध शुरू करने के लिए. मेरा ईरानी लोगों के प्रति गहरा सम्मान है. हम शासन में बदलाव नहीं कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि हालांकि, इस क्षेत्र में ईरानी शासन की आक्रामकता लड़ाकू विमानों के उपयोग के लिए अपने पड़ोसियों को अस्थिर करना चाहिए.
ट्रंप ने कहा कि मेरे निर्देश पर अमेरिकी सेना ने एक एयर स्ट्राइक को हड़ताल को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसने दुनिया के नंबर एक आतंकवादी कासिम सुलेमानी को मार डाला.
ट्रंप ने सुलेमानी पर आरोप लगाते हुए आगे कहा कि वह अमेरिकी राजनयिकों और सैन्य कर्मियों पर हमले की साजिश रच रहा था, लेकिन हमने उसे पकड़ लिया और उसे खत्म कर दिया.
खबरों के अनुसार, मध्यपूर्व में अमेरिका द्वारा भेजे जा रहे सैनिक 82वीं एयरबोर्न डिवीजन के उन करीब 700 सैनिकों के अतिरिक्त होंगे, जिन्हें ईरान समर्थित मिलिशिया के लोगों और उनके समर्थकों द्वारा बगदाग में अमेरिकी दूतावास पर हमला करने के बाद इस सप्ताह के प्रारंभ में कुवैत में तैनात किया गया था.
अहम बात ये है कि सुलेमानी की मौत पर दुनिया के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं. इस संबंध में सीरिया में लोगों ने अपनी विरोध जाहिर किया.
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अतिरिक्त सैनिकों को भेज जाना गुरूवार को ईरान के क्वाड्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद उसकी (ईरान की) बदले की कार्रवाई करने की संभावना को लेकर चिंता को दर्शाता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही सुलेमानी पर हमले का आदेश दिया था.