नई दिल्ली : अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि भारत वॉशिंगटन की हिंद-प्रशांत रणनीति का केंद्र बना रहेगा. राजनयिक की ओर से यह बयान तब दिया गया है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर संघर्ष जारी है और बीजिंग दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ा रहा है.
यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) की ओर से आयोजित 'अमेरिका-भारत : नई चुनौतियों का सामना' विषय पर जारी परिचर्चा के दौरान अमेरिका के उपविदेश मंत्री स्टीफन बाइगन ने कहा कि वॉशिंगटन की नई हिंद-प्रशांत (इंडो-पेसिफिक) रणनीति आधुनिक दुनिया की वास्तविकताओं को दर्शाती है और इंडो-पेसिफिक रणनीति लोकतंत्रों के इर्द-गिर्द केंद्रित है. उन्होंने सोमवार को कहा कि यह मुक्त बाजारों के आसपास केंद्रित है.
बाइगन ने आगे कहा कि यह उन मूल्यों पर केंद्रित है, जो भारत सरकार, भारतीय अमेरिकी सरकार और अमेरिका के लोगों के साथ साझा करते हैं. उसे सफल बनाने के लिए हमें इस क्षेत्र को पूरे पैमाने पर टैप करना होगा.
उन्होंने कहा कि इसमें अर्थशास्त्र और सुरक्षा सहयोग के पैमाने की अहम भूमिका होगी और इस रणनीति में भारत को केंद्र में रखे बगैर यह मुमकिन नहीं है. इसलिए जैसा मुझे लगता है कि अमेरिका के लिए यह रणनीति महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत के बिना यह हमारे लिए सफल नहीं हो सकती है.
गौर हो कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का विचार पहली बार जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अपने पहले कार्यकाल के दौरान वर्ष 2006-07 में दिया था. यह जापान के पूर्वी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ है.
बाइगन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब इस वर्ष जून में लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ, जिससे 45 वर्षों में पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों पक्षों के जवानों को मौत का मजा चखना पड़ा.
वहीं इस बीच पिछले माह अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में बीजिंग का शासक जैसा रुख अपनाने को लेकर चीन के लोगों और उपक्रमों पर वीजा प्रतिबंध भी लगा दिए थे.
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना ने दक्षिण चीन सागर में जल और थल दोनों तरह के हमले की गतिविधियों के अभ्यास शुरू कर दिए हैं.
वहीं पारासेल द्वीप समूह के पास चीन की नवीनतम गतिविधियों का जवाब देने के लिए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में परमाणु शक्ति से संचालित तीन विमान वाहक पोत तैनात कर दिए हैं.
चीन दक्षिण चीन सागर के पारासेल और स्प्रेटली द्वीप समूह को लेकर क्षेत्र के अन्य देशों के साथ विवादों में फंसा हुआ है. जबकि स्प्रेटली द्वीप समूह पर दावा करने वाले अन्य देश ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम हैं. पारासेल द्वीपों के भी वियतनाम और ताइवान दावेदार हैं.
वर्ष 2016 में हेग स्थित स्थाई पंचाट न्यायालय ने फैसला दिया था कि दक्षिण चीन सागर में चीन ने फिलीपींस के अधिकारों का उल्लंघन किया है. दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे व्यास्त व्यापारिक समुद्री रास्तों में से एक है.
इस अदालत ने चीन पर फिलीपींस के मछली पकड़ने और पेट्रोलियम के अन्वेषण में हस्तक्षेप करने, समुद्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करने और चीन के मछुआरों को उस क्षेत्र में मछली पकड़ने से रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया.