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रोजगार के लिए अब डिग्री नहीं कौशल विकास की है जरूरत

कोरोना ने अर्थव्यवस्था को अधिक प्रभावित किया है. इस वायरस से कुछ क्षेत्र कम प्रभावित हैं तो कुछ अधिक प्रभावित हैं. वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने लाखों लोगों की नौकरियां छीन ली हैं. कोरोना संकट के इस दौर में नौकरी के मामले में शैक्षक योग्यता पर कौशल विकास भारी है. यह बात वसीतम नाम के एक भर्ती स्टार्ट-अप और रोजगार एवं प्रशिक्षण संगठन टेलीरंग की एक रिपोर्ट में सामने आई हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत की वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकला चौधरी ने वसीतम के संस्थापक विक्रम वाधवन और टेलीरंग की संस्थापक श्वेता रैना से बात की. आइए जानते हैं कि इस दौरान दोनों क्या कुछ कहा...

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Published : Aug 29, 2020, 9:13 PM IST

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सफल करियर के लिए आगे बढ़ने का तरीका है कौशल विकास

नई दिल्ली : मौजूदा समय में नौकरी के मामले में शैक्षिक योग्यता पर कौशल विकास भारी है. यह बात एक हालिया सर्वेक्षण में सामने आई है. वसीतम नाम के एक भर्ती स्टार्ट-अप और रोजगार एवं प्रशिक्षण संगठन टेलीरंग की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि कई कंपनियां अब ऐसे व्यक्तियों को खोजती हैं, जिनके पास केवल शैक्षणिक योग्यता से भरा बैग नहीं हो बल्कि अपने साथ कौशल और अनुभव लेकर आएं जो उन्हें काम के लिए तैयार करे.

वसीतम के संस्थापक और सीईओ विक्रम वाधवन ने ईटीवी भारत से कहा कि महामारी ने रोजगार के वर्तमान परिदृश्य में कई चुनौतियां पैदा कर दी हैं. भारत में हमें एक तरफ तेज, टिकाऊ, अधिक न्यायसंगत विकास पाने के लिए और दूसरी तरफ बढ़ती युवा आबादी के लिए बेहतर कार्य अवसर देने के लिए कौशल पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह लोगों को प्रेरित करने और उनकी सामाजिक स्वीकार्यता या मूल्य बढ़ाने के लिए एक प्रभावी संसाधन है.

उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर सफलता के लिए करियर कौशल को लेकर कर्मचारी की अंतर्दृष्टि जानने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया था. इस पहल ने वास्तव में हमें कर्मचारियों के सोचने की प्रक्रिया और वह अभी कैसे हैं या खुद को सबसे खराब स्थिति के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं, यह समझने में मदद की.

कौशल विकास के करियर लिए महत्वपूर्ण
सर्वेक्षण में वैसे अधिकतम लोगों की भागीदारी रही जो अभी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं था कि उनके पास वर्षों का अनुभव भी हो. एक हजार से अधिक लोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त हुई. उनमें लगभग 45.5 फीसद स्नातक हैं और 31.8 फीसद विभिन्न कंपनियों के साथ पूर्णकालिक तौर पर कार्यरत हैं. इनमें करीब 14.9 फीसद प्रशिक्षित पेशेवर थे, जिन्होंने कहा कि काम करने के दौरान ही उन्हें वह जरूरी हुनर आया, उनकी पढ़ाई के दौरान नहीं. यह शिक्षा और कौशल के बीच के अंतर को दिखाता है. इस वजह से मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है.

एक बयान में कहा गया है कि 86.5 फीसद से अधिक प्रतिभागियों ने महसूस किया कि कौशल विकास किसी के करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

कोविड -19 की वजह से लॉकडाउन के कारण भारत की बेरोजगारी दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. खासकर पिछले कुछ महीनों में जबसे देश में महामारी का प्रकोप फैला है.

कोरोना वायरस ने आईटी, बीपीओ से लेकर आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र तक में छंटनी बढ़ा दी है. लगभग सभी क्षेत्रों में नौकरी जाने से बेरोजगारी ने देश के बहुत सारे लोगों के खासकर युवाओं के करियर को बुरी तरह प्रभावित किया है.

कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत
कुल मिलाकर महामारी के बाद काम के तरीकों की मांग पूरी करने के लिए कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत पैदा हुई है. देश में नौकरियों के परिदृश्य की प्रकृति में बदलाव के साथ युवाओं को कम उम्र से ही हुनरमंद करके उनके युवा दिमाग का पोषण करने पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है.

सर्वेक्षण से पता चला कि नौकरियों के लिए कौशल विकास के महत्व को लेकर सबके बीच सहमति है. कौशल विकास अब पसंद का विषय नहीं है. यह योग्य बनाने, जीवित रखने और सफल होने के लिए बेहद जरूरी हो गया है. अब आने वाले वर्षों में सफल होने के लिए कौशल और नजरिया को अपनाना अनिवार्य है.

विक्रम जोर देकर कहते हैं कि इसलिए रोजगार और अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए कौशल विकास की व्यापक स्तर पर सुविधा मिले संस्थानों को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि लोग आसानी से उससे जुड़ सकें और काम पर लौट सकें. अन्य की तुलना में प्रौद्योगिकी और डाटा विज्ञान कौशल अधिक महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं और यह तथ्य पूरी दुनिया के लिए है.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत केंद्र सरकार बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योग से जुड़े कौशल का प्रशिक्षण देकर उन्हें सक्षम बनाने की कोशिश कर रही है, जिससे उन्हें बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद मिलेगी. फिलहाल प्रमुख ध्यान भारत के कौशल अंतर को पाटने पर है. ऐसा करना नए-युग के कौशल और प्रतिदिन नवाचार की मानसिकता को बढ़ावा दे सकता है.

शिक्षा नीति में कौशल विकास को किया गया है आत्मसात

टेलीरंग की संस्थापक और सीईओ श्वेता रैना आगे बताती हैं कि संचार और लचीलापन जैसी क्षमता अब महत्वपूर्ण चीज है. उन्होंने कहा कि हाल ही में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को हम रटना सीखने की जगह मूल आवश्यक कौशलों को आत्मसात करने और अधिक रोजगारपरक बनने की उम्मीद के साथ देखते हैं.

समस्या का समाधान करना सर्वेक्षण में लगभग 64.7 फीसद के साथ सबसे महत्वपूर्ण कौशल के रूप में उभरा. यह सफल करियर के लिए आवश्यक है. समस्या को हल करने में सक्षमता और किसी मुद्दे को समझना ताकि उसे हल किया जा सके और हल करने के लिए एक रास्ता ढूंढना बजाय इसके कि चीजों को और खराब होने की प्रतीक्षा करें, कौशल है. इसके बाद संचार कौशल 60.9 फीसद और रचनात्मकता 57.1 फीसद था. इस तरह से एक आम सहमति है कि कौशल विकास किसी के करियर की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

दुनिया का सबसे युवा देश होने के नाते भारत का कार्यबल वर्ष 2022 तक 27 प्रतिशत तक बढ़ जाने का अनुमान है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) व वीबॉक्स एंड पीपुल्स स्ट्रांग की इंडिया स्किल रिपोर्ट 2019 के अनुसार कार्यबल जो फिलहाल 47.3 करोड़ है वह लगभग 60 करोड़ हो जाएगा.

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