नई दिल्लीः मोदी सरकार ने आज ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है. इस पर आज जैसे ही निचले सदन की कार्यवाही शुरू हुई पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया.
जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाने के केंद्र के निर्णय का आज लोकसभा में पूरे विपक्ष ने एकमत से विरोध किया. आज जैसे ही निचले सदन की कार्यवाही शुरू हुई और लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला द्वारा एक बयान पढ़ा गया.
बिड़ला ने बयान में प्रधानमंत्री मोदी से 2022 में स्वतंत्रता के 75 साल पुरे होने के मौके पर संसद का नई प्रौद्योगिकी से नवीनीकरण करने का आग्रह किया. इसी दौरान कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष ने कश्मीर का मुद्दा उठाया.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आग्रह किया, 'श्रीमान, आप कम से कम हमें बोलने का मौका तो दीजिए.'
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार ने कश्मीर में भारी बल तैनात कर दिया गया है और प्रदेश के मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया है.
बिड़ला ने कांग्रेस का अनुरोध खारिज कर दिया, जिसके बाद कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, जेकेएनसी, आरएसपी, एआईएमआईएम और सपा के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर 'दादागिरी नहीं चलेगी', 'तानाशाही नहीं चलेगी', 'प्रधानमंत्री जवाब दो', 'हम न्याय चाहते हैं', 'बांटो और राज्य करो की नीति बंद करो' के नारे लगाने लगे.
इसके बाद प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस, द्रमुक, सपा और आरएसपी के नेता लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इकट्ठे हो गए.लेकिन तेदेपा, बीजद, बसपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया.
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हंगामे के बावजूद, अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही जारी रखी और राज्यसभा द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 तथा मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 में किए गए संशोधनों को पारित कर दिया. इसी कोलाहल के बीच में सरकार ने ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 भी पारित किया.
इसी बीच संसदीय कार्यमंत्री अर्जुन राम मेघावल ने ने विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों पर वापस लौटने का आग्रह किया और प्रस्ताव देते हुए कहा, "हमारे रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) किसी भी मुद्दे पर बोले के लिए तैयार हैं".लेकिन इसके बावजूद भी विपक्ष अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा.