दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

बच्चों में पोषण की कमी अधिक राशन देकर हो सकती है पूरी - मध्याह्न भोजन

लॉकडाउन के दौरान बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिल पाने के कारण पोषक तत्वों की जो कमी हुई है उसे पोषक भोजन शुरू करके पूरा किया जा सकता है. इसके लिए राशन बढ़ाने की जरूरत होगी.

बच्चों में पोषण की कमी
बच्चों में पोषण की कमी

By

Published : Sep 12, 2020, 9:42 PM IST

नयी दिल्लीःसंयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के भारत के लिए कंट्री डायरेक्टर बिशो प्राजुली ने कहा है कि कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन में बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिल पाने के कारण पोषक तत्वों की कमी हुई है. उसके लिए पोषक भोजन शुरू करके, पोषण जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देते हुए राशन बढ़ाकर कम किया जा सकता है.

प्राजुली ने कहा कि भारत मध्याह्न भोजन के रूप में स्कूलों के जरिए भोजन उपलब्ध करवाने वाले सबसे बड़े कार्यक्रम का संचालन करता है लेकिन कोविड-19 संकट के कारण कुपोषण को कम करने की पहल की प्रगति पर असर पड़ा और वर्तमान चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि हमें पता है कि महामारी के रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच स्कूलों को खोलना और संचालित करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है. मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए भोजन एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा मार्ग है, लेकिन सरकार कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के तहत आने वाले परिवारों के लिए अगले पांच महीने के लिए अतिरिक्त राशन जारी कर रही है, इससे बच्चों की भोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने लॉकडाउन एवं ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बच्चों को विभिन्न साधनों से मध्याह्न भोजन सुनिश्चित करने के केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के कदमों की सराहना की.

यह भी पढ़ें - दिल्ली मेट्रो ने एयरपोर्ट लाइन खोलने के साथ शुरू कीं सभी सेवाएं

सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध करवाने के संबंध दिशानिर्देश जारी किए थे. जिसमें कहा था कि इन्हें सूखे राशन के रूप में अथवा खाद्य सुरक्षा भत्ते के रूप में मुहैया करवाया जाए जिसमें अनाज का खर्च, भोजन पकाने का खर्च लाभांवितों के खातों में भेजा जाए ताकि बच्चों की पोषण जरूरतें ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी पूरी होती रहें और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कायम रहे.

प्राजुली ने कहा कि योजना का क्रियान्वयन प्रभावी रूप से नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि महामारी का बच्चों और उनके परिवारों पर पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और पोषक भोजन तक सीमित पहुंच का मतलब होगा कुपोषण में वृद्धि होना है. इस चुनौती से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details