नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया कि अगर आरसीईपी के सदस्य देश चिंताओं को दूर कर और घरेलू उद्योग के लिये बेहतर बाजार पहुंच के साथ अच्छी पेशकश लाते हैं तो भारत बातचीत के लिये तैयार है.
हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सरकार का निर्णय अंतिम है कि भारत चीन समर्थित वृहत व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बैंकाक में कहा कि भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत हमारे मसलों और चिंताओं को समाधान करने में विफल रही है. आरसीईपी में 16 सदस्य देश शामिल हैं. इसमें आसियान के 10 सदस्य देश तथा भारत समेत छह कारोबारी भागीदार हैं.
गोयल ने कहा, 'फिलहाल यह अंतिम निर्णय है. हम आरसीईपी से नहीं जुड़ रहे हैं. लेकिन अगर हमारी मांगें मानी जाती है, भारतीय उद्योग को वृद्धि के लिये और अवसर मिलते हैं, भारत के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना बाजार पहुंच बढ़ता है..तो मुझे लगता है कि हर सरकार बातचीत के लिये तैयार होगी.'
उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों और संबंधों के रास्ते किसी के लिये भी कभी बंद नहीं होते..अगर वे हमारी चिंताओं को दूर करने के लिये ईमानदार प्रयास करते हैं, हमें भरोसा देते हैं और व्यापार असमानता को संतुलित करने में हमारी मदद करते हैं, तब मुझे लगता है कि किसी भी देश को अपने मित्रों से बातचीत करनी चाहिए. हम किसी के साथ कोई दुश्मनी करके नहीं बैठे हैं.'
भारत ने चीन जैसे देशों के साथ बढ़ते व्यापार घाटा, वस्तुओं के आयात में अचानक से वृद्धि या डंपिंग को रोकने के लिये प्रणाली, शुल्क में कटौती के लिये आधार वर्ष 2014 की जगह 2019 किये जाने जैसे मामलों को लेकर आरसीईपी में कड़ा रुख अपनाया है.