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वित्त आयोग की शर्तें बदलने से पहले मुख्यमंत्रियों के साथ होना चाहिए था परामर्श: मनमोहन - सहकारी संघवाद की कसमें खाते हैं

15वें वित्त आयोग के विषय एवं शर्तों में बदलाव के तरीके को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार वित्त आयोग के विचारणीय विषय व शर्तों में फेरबदल करना भी चाहती थी तो उस पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के परामर्श करना चाहिए था.

मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)

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Published : Sep 14, 2019, 7:10 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 2:55 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 15वें वित्त आयोग के विषय एवं शर्तों में बदलाव के तरीके को एकपक्षीय बताते हुए इसके लिए शनिवार को केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि एकपक्षीय सोच संघीय नीति एवं सहकारी संघवाद के लिये ठीक नहीं है.

सिंह ने वित्त आयोग के समक्ष रखे गए अतिरिक्त विषयों और राज्यों पर उनके संभावित प्रभाव के बारे में राजधानी में एक राष्ट्रीय परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार वित्त आयोग के विचारणीय विषय व शर्तों में फेरबदल करना भी चाहती थी तो अच्छा तरीका यही होता कि उस पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का समर्थन ले लिया जाता.

यह सम्मेलन अब नीति आयोग के तत्वावधान में होता है.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने से यह संदेश जाएगा कि धन के आवंटन के मामले में केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों को छीनना चाहती है.

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हम अपने देश की जिस संघीय नीति और सहकारी संघवाद की कसमें खाते हैं, यह उसके लिये ठीक नहीं है.'

सिंह ने कहा, 'आयोग की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय जाती है और उसके बाद इसे मंत्रिमंडल को भेजा जाता है. ऐसे में मौजूदा सरकार को यह देखना चाहिए कि वह राज्यों के आयोगों पर एकपक्षीय तरीके से अपना दृष्टिकोण थोपने के बजाय संसद का जो भी आदेश हो उसका पालन करे.'

उल्लेखनीय है कि 15वें वित्त आयोग को राज्यों के बीच राशि के बंटवारे का आधार 1971 के बजाय 2011 की जनसंख्या को बनाने के लिये कहा गया है.

दक्षिण भारत के कुछ राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एन. के. सिंह की अध्यक्षता में 15वें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर 2017 को किया गया था.
इसे अपनी सिफारिशें 30 अक्तूबर 2019 तक देनी हैं. अब इसे बढ़ा कर 30 नवंबर 2019 कर दिया गया है.

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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं सभी प्राधिकरणों से सम्मान के साथ यह निवेदन करता हूं कि वे अभी भी इस संबंध में किसी विवाद की स्थिति में मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर गौर करें.'

उन्होंने कहा कि सहकारी संघवाद में परस्पर समझौते करने की जरूरत होती है.अत: यह महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार राज्यों की बात सुने और उन्हें साथ-साथ लेकर चले.

Last Updated : Sep 30, 2019, 2:55 PM IST

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