नई दिल्ली: भारत में बाल विवाह की दर में भले ही कमी आई हो लेकिन कुछ राज्यों जैसे बिहार, बंगाल और राजस्थान में अभी भी यह हानिकारक प्रथा जारी है और इन राज्यों में करीब 40 फीसदी की दर से बाल विवाह का प्रचलन है. यूनीसेफ ने यह जानकारी दी है.
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) द्वारा सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट 'फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेस 2019' में कहा गया कि तमिलनाडु और केरल में हालांकि बाल विवाह का प्रचलन 20 फीसदी से कम है लेकिन यह प्रथा आदिवासी समुदायों में और अनुसूचित जातियों सहित कुछ विशेष जातियों के बीच प्रचलित है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह से लड़कियों के जीवन, कल्याण और भविष्य को नुकसान पहुंचता है. 2030 तक अपने 18वें जन्मदिन से पहले 15 करोड़ से अधिक लड़कियों की शादी हो चुकी होगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बालिका शिक्षा की दरों में सुधार, किशोरियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए गए निवेश व कल्याणकारक कार्यक्रम और बाल विवाह की अवैधता के साथ ही सार्वजनिक रूप से मजबूत संदेश देने जैसे कदम के चलते बाल विवाह की दर में कमी देखने को मिली है.
इसने यह भी दिखाया है कि 2005-2006 में जहां 47 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी, वहीं 2015-2016 में यह 27 फीसदी दर्ज हुई.
यूनिसेफ ने एक बयान में कहा, 'बदलाव सभी राज्यों में समान है, जिसमें गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है लेकिन कुछ जिलों में बाल विवाह का प्रचलन उच्च स्तर पर बना हुआ है. फोकस उन भौगोलिक क्षेत्रों पर है जहां बाल विवाह का प्रचलन उच्च (50 प्रतिशत) और मध्यम (20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच) है.'