रायपुर : 'जल ही जीवन है'यह महज एक नारा नहीं, बल्कि जीवन का सार और आधार दोनों है. इसे बचपन से हमने किताबों में भी पढ़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाया भी गया, लेकिन लोग जल के प्रति लापरवाही बरतते रहे. शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े होते रहे और भूगर्भ जल को संचित रखने के प्रयास कम से कम होते गए.
भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा
छत्तीसगढ़ के कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के तौर पर है. बड़े-बड़े पॉवर प्लांट हों या फिर छोटी औद्योगिक इकाइयां, इन्हें चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है. बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों को हसदेव नदी से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन ऐसी औद्योगिक ईकाइयों की जिले में कोई कमी नहीं है, जो भूगर्भ जल से अपनी जरूरतों को पूरा करती हों. लॉकडाउन के दौरान उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद रहे. इसका फायदा यह हुआ कि इस साल भूगर्भ जल के स्तर में इजाफा देखने को मिला है.
जिले के हैंडपंप में पानी का जलस्तर
विकासखंड | जलस्तर (मीटर में) | हैंडपंप की संख्या |
कोरबा | 16 से 19 | 2527 |
करतला | 14 से 18 | 2225 |
कटघोरा | 15 से 19 | 1767 |
पाली | 15 से 19 | 3663 |
पोड़ी उपरोड़ा | 16 से 22 | 3790 |
गर्मी के दिनों में पानी की होती थी किल्लत
भीषण गर्मी में भी जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक भी हैंडपंप ऐसा नहीं है, जो जलस्तर कम होने से सूखा हो. इससे पहले हर साल गर्मी के दिनों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) ऐसे हैंडपंप की मरम्मत करने में हमेशा परेशान रहता था, जो गर्मी के शुरू होते ही सूख जाते थे. इसका एकमात्र कारण भूगर्भ जलस्तर का नीचे चला जाना होता था, लेकिन इस साल जिले में ऐसी परिस्थितियां बनी ही नहीं.