नई दिल्ली: दो साल पहले बनी यूके-भारत तकनीकी साझेदारी के तरह ब्रिटेन ने सोमवार को 30 लाख पौंड के नवाचार चुनौती निधि (इनोवेटिव चैलेंज फंड) की घोषणा की. इस राशि से कोविड-19 की महामारी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने में लगे अकादमिक और उद्योगों के वैज्ञानिकों को सहायता दी जाएगी.
ब्रिटिश उच्चायोग से यहां जारी एक बयान के अनुसार, यह फंड कर्नाटक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)- डाटा और महाराष्ट्र में भविष्य की गतिशीलता (फ्यूचर मोबिलिटी) समूह से जुड़ी नई तकनीकी का खोज करने वालों को आमंत्रित करता है जो कोविड-19 से निबटने या भू-मंडल की हरियाली बढ़ावा देने से जुड़े अनुसंधान एवं विकास का काम करें. उच्चायोग ने अपने बयान में कहा है कि 2.5 लाख पौंड तक के कम से कम 12 अनुदान दिए जाने की उम्मीद है. कहा गया है कि आवेदनकर्ताओं को एक शिक्षा-उद्योग संघ के रूप में अपनी निविदा देनी होगी. आदर्श स्थिति में एक अंतरराष्ट्रीय सदस्य साथ हो. दो पृष्टों के कंसेप्ट नोट के साथ इसे जमा करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त है.
भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त फिलिफ बार्टन ने एक बयान में कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच अनुसंधान एवं नवाचार का एक मजबूत इतिहास रहा है. कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन ने सर्वाधिक जरूरी वैश्विक चुनौती पेश की है. अकादमी, व्यवसायी और सरकार के लिए नवाचार की गति को तेज करने और राष्ट्रों को जीवन बचाने व एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम करने की इससे अधिक जरूरत कभी नहीं पड़ी थी.
ब्रिटिश उच्चायोग में यूके-इंडिया टेक पार्टनरशिप की प्रमुख केरेन मैकलुस्की ने कहा कि इस फंड का मकसद नव प्रवर्तन के नायकों के पीछे रहना है चाहे वे कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे हों या वैश्विक खतरे को बढ़ा रहे जलवायु परिवर्तन से. हम लोग सभी के लाभ के लिए उभरती हुई तकनीक को विकसित करने और अपनाने में हम एक जैसे विश्व नेता के रूप में भारत के साथ काम करके गौरवान्वित महसूस करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2018 के अप्रैल में जब लंदन गए थे और उनकी मुलाकात अपने ब्रिटिश समकक्ष थेरेसा मे के साथ हुई थी, तभी ब्रिटेन और भारत ने यूके-इंडिया टेक पार्टनरशिप की घोषणा की थी. मोदी के दौरे में मुख्य ध्यान प्रौद्योगिकी और व्यापार में बढ़ोतरी, निवेश और वित्त था. उसी समय भारत के आईटी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) उद्योग संघ ‘नासकॉम’ और टेक यूके के बीच यूके-इंडिया तकनीकी सहयोग शुरू करने, तकनीकी हब स्थापित करने, यूके-इंडिया तकनीकी क्लस्टर साझेदारी विकसित करने, भारत में एक उन्नत निर्माण केंद्र और भारत के स्पिरेशनल हेल्थ डिस्ट्रिक प्रोग्राम में आईए और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा के सहयोग निर्णय लिया गया था.