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विधान मंडल सदस्य नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री बनेंगे उद्धव, होंगे ऐसे आठवें सीएम - शिवाजी पार्क

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ऐसे आठवें नेता बन जाएंगे, जो विधानसभा या विधान परिषद सदस्य नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने. महाराष्ट्र में इसके पहले सात नेताओं रहें हैं, जिनमें कांग्रेस नेता एआर अंतुले, वसंतदादा पाटील, शिवाजीराव निलंगेकर पाटील, शंकरराव चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल हैं. जानें विस्तार से...

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शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

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Published : Nov 28, 2019, 5:54 PM IST

मुंबई : शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे आज शाम महाराष्ट्र में उन सात नेताओं की जमात में शामिल हो जाएंगे जो विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने.

कांग्रेस नेता एआर अंतुले, वसंतदादा पाटील, शिवाजीराव निलंगेकर पाटील, शंकरराव चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण उन नेताओं में शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे.

तत्कालीन कांग्रेस नेता एवं मौजूदा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार का नाम भी इन्हीं नेताओं में शुमार है.

ठाकरे (59) यहां आज शाम को शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ऐसे आठवें नेता बन जाएंगे.

संविधान के प्रावधानों के अनुसार कोई नेता यदि विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं है, तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानमंडल का सदस्य बनना होता है.

जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे.

वसंतदादा पाटील एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे.

निलंगेकर पाटील जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे, जबकि शंकरराव चव्हाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे. मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे.

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नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे, लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाईक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था.

इसी तरह मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में पृथ्वीराज चव्हाण मंत्री थे, लेकिन वह भी अशोक चव्हाण की जगह नवंबर 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे.

अंतुले, निलंगेकर पाटील और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे.

अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था.

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