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वाह रे जिंदगी ! कहीं जीने की जिद्दोजहद तो कहीं पीने की

एक तरफ जिंदगी का संघर्ष नजर आ रहा है, जहां बस दो वक्त की रूखी-सूखी रोटी के लिए जद्दोजहद जारी है. धूप हो या छांव बस कतार में खड़े हैं. आंखों में उनके सपने लिए, जो घर में भूख से बेहाल बैठे हैं. वहीं दूसरी तरफ विलासिता के लिए लोग घंटों लाइन में खड़े हो रहे हैं.

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Published : May 4, 2020, 9:08 PM IST

Two Ques: one is  For ration,  Another one is for Liquor
कहीं जीने की जिद्दोजहद तो कहीं पीने की

हैदराबाद : कोरोना से लड़ाई में लगे लॉकडाउन के बीच देशभर में दो तरह की कतारें नजर आ रही हैं. एक तरफ भूख से बेहाल लोग राशन की कतारों में लगने को विवश दिखाई दिए तो दूसरी ओर सरकार से छूट मिलते ही मयखानों के बाहर लंबी लाइनें नजर आईं.

देखने और सुनने में आम लगने वाली यह कतारें वास्तव में एक-दूसरे से बेहद अलग हैं. एक ओर जीवन की जिजीविषा है, तो दूसरी ओर असीम आनंद की चाहत.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

राशन और शराब की दुकानें इस परिस्थिति में एक साथ खुली हैं. यह अजब दृश्य है, एक ओर भूख को मात देना का संघर्ष है, तो दूसरी ओर इंद्रियों को आनंदित करने का सुख.

एक तरफ जिंदगी का संघर्ष नजर आ रहा है, जहां बस दो वक्त की रूखी-सूखी रोटी के लिए जद्दोजहद जारी है. धूप हो या छांव बस कतार में खड़े हैं. आंखों में उनके सपने लिए, जो घर में भूख से बेहाल बैठे हैं. वहीं दूसरी तरफ विलासिता के लिए लोग घंटों लाइन में खड़े हो रहे हैं. यह बाद दीगर है कि जिस मदिरा के लिए लोग लंबी लाइनों में लग रहे हैं, उस पर वैधानिक चेतावनी भी लिखी रहती है कि यह सेहत के लिए हानिकारक होती है. फिर भी लोग नहीं मानते.

वास्तव में कितना फर्क है दोनों कतारों में....

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