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आज की असहिष्णुता पर क्या करते गांधी, तुषार गांधी ने साझा की अपनी राय

इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है. इस अवसर पर ईटीवी भारत दो अक्टूबर तक हर दिन उनके जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रहा है. हम हर दिन एक विशेषज्ञ से उनकी राय शामिल कर रहे हैं. साथ ही प्रतिदिन उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं. प्रस्तुत है आज आठवीं कड़ी.

तुषार और महात्मा गांधी

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Published : Aug 23, 2019, 7:05 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:05 PM IST

मुंबई: अगर गांधी आज जिंदा होते और समाज में इतनी अधिक असहिष्णुता को देखते, तो वे कभी भी चुप नहीं बैठते. वह तुरंत हस्तक्षेप करते और उसका समाधान निकालते. पर अफसोस आज ऐसा नहीं हो रहा है. यह कहना है कि महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी का. उन्होंने कहा कि आज भी गांधीवादी विचारधारा न सिर्फ प्रासंगिक है, बल्कि टिकाऊ भी है. तुषार गांधी ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में गांधी की विचारधार पर खुलकर अपनी राय रखी. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा है.

'गांधीवादी विचारधारा स्थायी है और इसे वैश्विक स्वीकृति मिल रही है'
महात्मा गांधी फाउंडेशन के अध्यक्ष तुषार गांधी ने गांधीवादी विचारधारा के भविष्य पर कहा कि यह मानव जाति द्वारा खोजी गई सबसे टिकाऊ विचारधाराओं में से एक है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की हमारी अस्थिर जीवन शैली है और उस पर जिस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है, इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि गांधीवादी विचारधारा के अलावा कोई अन्य विकल्प हमारे पास नहीं होगा. यह इतने लंबे समय से कायम है और यह बात हमेशा के लिए साबित भी हो गया है.

तुषार गांधी से खास बातचीत

तुषार ने कहा कि गांधीवादी विचार आधुनिक समय की खोज नहीं थी, क्योंकि यह विचार मुख्य आदर्शों के उन आधार पर आधारित हैं, जिससे हमारी सभ्यता और समाज का गठन हुआ है. उन्होंने कहा, 'यह साबित किया गया है कि जीवन को बनाए रखने के लिए यह एकमात्र तरीका है जहां हम प्रकृति के उपहारों का दुरुपयोग नहीं करते हैं और विविध विचारधारा के बावजूद अन्य लोगों के अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करते हैं.' उन्होंने कहा कि गांधी की विचारधारा वैश्विक स्वीकृति प्राप्त कर रही है.

'कट्टरपंथ आज हावी है, लेकिन कायम नहीं रहेगा'
गांधीवादी विचार के प्रति वैश्विक आकर्षण पर उन्होंने कहा कि इसके प्रति एक आकर्षण है, क्योंकि अन्य सभी विचारधाराओं को आजमाया जा चुका है. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है जैसे हमें कोई उम्मीद नहीं है. वैश्विक स्तर पर कट्टरपंथी विचार प्रचलित है. पूरी दुनिया में चरमपंथी और असहिष्णु विचारधारा मजबूत होती दिख रही है.' गांधी ने कहा कि यहां तक ​​कि कट्टरपंथ के समर्थकों को एहसास है कि उनकी विचारधारा टिकाऊ नहीं है, इससे बावजूद वह इसे हासिल करने की दौड़ में शामिल हैं.

तुषार गांधी से खास बातचीत

गांधीवादी विचारधारा को सही मायने में स्वाभाविक कहते हुए उन्होंने कहा, 'हर बार एक छोटी अवधि के बाद जहां सब कुछ खो जाता है, हम गांधीवादी विचारधारा को अपनाने के लिए वापस आ जाते हैं. लेकिन आप जान लीजिए उदारवाद और उदारवादी विचारधारा टिकाऊ है, अतिवाद और अतिवादी विचारधारा नहीं है.'

'स्वच्छ भारत मिशन आंशिक गांधीवादी विचारधारा को अपनाने जैसा'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख स्वच्छ भारत मिशन को गांधीवादी विचारधारा का एक सुविधाजनक और आंशिक रूप से अपनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आंतरिक सफाई कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी. 'हां, स्वच्छता एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन आत्मा की आंतरिक सफाई और भाईचारे की विचारधारा अधिक महत्वपूर्ण है. बाहरी सफाई आसान है, जबकि आंतरिक दोषों को अनदेखा करना आसान है.'

तुषार गांधी से खास बातचीत

तुषार ने कहा कि चाहे आप गंदगी की कितनी भी सफाई करते रहें, जब तक आपका दिमाग गन्दा रहेगा, तब तक सफाई का असल उद्देश्य पूरा नहीं होगा. आपको अपने मन की सफाई करनी होगी.

'हत्या करना माने जैसे आज आदत सी बन गई है'
आज के सार्वजनिक जीवन को बेहद असहिष्णु और हिंसा ग्रस्त बताते हुए उन्होंने कहा कि गांधी किसी भी स्थिति का जवाब देने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करते. 'हत्या करना एक आदत बन गई है और इसे स्वीकार कर लिया गया है. जो लोग इसमें लिप्त हैं, वे इसे सामान्य जीवन शैली के रूप में कर रहे हैं. जो लोग ऐसा नहीं करते हैं, लेकिन चुप रहते हैं, वे इसे अपनी चुप्पी के माध्यम से स्वीकार कर रहे हैं. यह अधिक खतरनाक है.'

तुषार गांधी से खास बातचीत

महात्मा गांधी एक डॉक्टर की तरह थे, जिन्होंने तत्काल राहत के बजाय दर्द के जड़ पर प्रहार करते थे. वह उसकी उत्पत्ति को ढूंढते थे. इससे पहले कि पतन करने वाली विचारधारा समाज को प्रभावित करे, गांधी पहले ही इसे भांप लेते और उसका उपाय ढूंढना शुरू कर देते. उन्होंने कहा, 'बापू ने हमारे समाज में ऐसे लक्षणों को महसूस किया होगा. इससे पहले कि यह हमारे लिए स्पष्ट हो जाए.

जब तक हमलोगों को ऐसे लक्षणों के बारे में पता चलता, बापू इस सडांध को रोकने के लिए उपाय उठा चुके होते.

'दुर्भाग्य है कि गोडसे कुछ लोगों के लिए नायक जैसे हैं'
हत्या और घृणा की विचारधारा को प्रभावी होते हुए देख गांधी निश्चित तौर पर इसे सामान्य नहीं मानते. वे इसे असामान्य व्यवहार करार देते.

'मनुष्य स्वभाव से शांतिप्रिय होता है और वह एक सुरक्षित जीवन जीना चाहता है. अलग-थलग रहना, कट्टरपंथी होना... ये सब मानव स्वभाव नहीं हैं. यह असामान्य स्थिति है. इसका इलाज संभव है.' उन्होंने कहा, 'यह बहुत स्पष्ट है कि गोडसे आज भारत में नायक हैं. लेकिन ऐसे समय में बापू की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले को हिम्मत रखनी चाहिए.'

तुषार गांधी से खास बातचीत
गांधी ने कहा कि अगली पीढ़ी को बचाने के लिए काम करना होगा, क्योंकि वर्तमान पीढ़ी तो इसे खो चुकी है.

'हर कोई स्थायी विचारधारा की तलाश करना शुरू कर देगा, क्योंकि नफरत और हत्या की विचारधारा मानव जाति पर जाकर नहीं रुकती है. यह जिंदगी, पर्यावरण और प्रकृति को भी खतरे में डालती है. कोई व्यक्ति चुनिंदा घृणित या अतिवादी नहीं हो सकता है. यहां तक ​​कि समय के सबसे बुरे समय में भी, आशा है.'

'बापू के निधन के बाद भी उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं'
गांधीवादी विचारधारा को आत्मनिर्भर करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि इसे समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'गांधीवादी विचार को दिमाग में नहीं डाला जा सकता है और इसे टॉनिक की तरह नहीं खिलाया जा सकता है. इसे समझने की जरूरत है. इसे उपदेश की आवश्यकता नहीं है.'

तुषार गांधी से खास बातचीत

तुषार गांधी ने कहा कि आज जो नफरत मिल रही है, उसका एकमात्र कारण यह है लोग जल्द ही गांधीवादी विचारधारा को बेहतर ढंस से समझ नहीं रहे हैं. भले ही महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई हो, लेकिन उनके विचार ने दुनिया भर में कई आंदोलनों को प्रेरित किया. उन्होंने कहा, 'उन चरमपंथी मानसिकता के लोगों ने जो गांधीवादी विचारधारा का हमेशा विरोध करते थे, उन्होंने महसूस किया कि व्यक्ति को मारने के बाद भी उनकी राय को हंसी में उड़ाया नहीं जा सकता है. गांधी की विचारधारा को हाशिए पर नहीं रखा जा सकता है,'

Last Updated : Sep 27, 2019, 11:05 PM IST

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