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तुर्की के राष्ट्रपति ने पाक संसद में कहा- कश्मीर मसले पर हम हैं साथ - तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी संसद को संबोधित किया

भारत की आपत्ति के बावजूद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने शुक्रवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाया और कहा कि उनका देश इस मामले में पाकिस्तान के रुख का समर्थन करेगा, क्योंकि यह दोनों देशों से जुड़ा विषय है.. जानें विस्तार से...

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इमरान खान और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन

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Published : Feb 14, 2020, 6:43 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 8:38 AM IST

इस्लामाबाद : भारत की आपत्ति के बावजूद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआनने शुक्रवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को लेकर राग अलापा. कश्मीर को उल्लेखित करते हुएएर्दोआनने कहा कि अंकारा पाकिस्तान के रुख का हमेशा समर्थन करेगा, क्योंकि यह दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है.

दो दिन की यात्रा पर यहां पहुंचे एर्दोआन ने पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए एलान किया कि तुर्की इस सप्ताह पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर होने के पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करेगा.

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख पर अपने देश का समर्थन दोहराते हुए एर्दोआन ने कहा कि इसे संघर्ष या दमन से नहीं सुलझाया जा सकता, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के आधार पर सुलझाना होगा.

इस दौरान उन्होंने यह भी घोषणा की कि तुर्की वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर आने में पाकिस्तान के प्रयासों में सहायता करेगा, जिसकी बैठक इस सप्ताह पेरिस में होने वाला है.

उन्होंने कहा, 'मैं इस बात पर भी जोर देना चाहता हूं कि हम पाकिस्तान को समर्थन देंगे, जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठकों में राजनीतिक दबाव के अधीन है.

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख के प्रति अपने देश के समर्थन का देते हुए उन्होंने कहा कि इसे संघर्ष या उत्पीड़न के माध्यम से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता के आधार पर हल किया जा सकता है.

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कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तानी के साथ हमारा भी

'हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों को दशकों से असुविधाओं का सामना करना पड़ा है और यह कष्ट हाल के दिनों में उठाए गए एकतरफा कदमों के कारण और गंभीर हो गए हैं, ' एर्दोआन ने कहा, जाहिर तौर पर वह पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद करने वाले भारत के फैसले का जिक्र कर रहे थे.

'आज कश्मीर का मुद्दा हमारे (पाकिस्तानियों) लिए भी अति महत्वपूर्ण है.'

ऐसा समाधान (न्याय और निष्पक्षता के आधार पर) संबंधित सभी पक्षों के हितों की सेवा करेगा. राष्ट्रपति ने कहा कि तुर्की कश्मीर मुद्दे के समाधान में न्याय, शांति और बातचीत के साथ खड़ा रहेगा.

तुर्की के राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में विदेशी प्रभुत्व के खिलाफ प्रथम विश्व युद्ध के समय देश की लड़ाई की तुलना कश्मीरियों के 'संघर्ष' से की.

बता दें कि गैलीपोली की लड़ाई में मित्र देशों की शक्तियों और तुर्क साम्राज्य के बीच लड़ी गई थी, जिसमें दोनों पक्षों से दो लाख से अधिक सैनिक मारे गए थे. एर्दोगन ने कहा, 'गैलीपोली और कश्मीर के बीच कोई अंतर नहीं है.'

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कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को लगातार मिल रहा एर्दोगन का साथ

हाल के वर्षों में पाकिस्तानी संसद में एर्दोआन नेरिकॉर्ड चौथा संबोधन में कहा, 'तुर्की उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाता रहेगा.'

उन्होंने पाकिस्तानी सांसदों को नेशनल असेंबली और सीनेट दोनों में अपना संबोधन दिया.

इसके पहले वह पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी अपने संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दे को उठाया था. यूएन में उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के बयान को 'अफसोसजनक' बताया और इसे भारत का एक आंतरिक मामला करार दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने टिप्पणी करने से पहले तुर्की से कश्मीर की स्थिति की उचित समझ रखने का सुझाव दिया था.

बता दें कि भारत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति को रद कर दिया था. भारत के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों को घटा दिया था. साथ में भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया.

गौरतलब है कि भारत ने हमेशा कहा है कि जम्मू कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार करता है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र या अमेरिका भी शामिल है. कारणस्वरूप कहते हुए कि यह पाकिस्तान के साथ एक द्विपक्षीय मुद्दा है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 8:38 AM IST

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