नई दिल्ली : संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्रों को अपने शोधकार्य से समृद्ध करने वाली महान कलाविद डॉ. कपिला वात्स्यायन का कोई सानी नहीं था और वह अपने आप कला संस्कृति के क्षेत्र में एक संस्थान थीं. पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित विदुषी कपिला ने अपने करीब छह दशक का लंबा करियर नृत्य, कला, वास्तुकला और अन्य सहित कला के विभिन्न रूपों के इतिहास की गहराई में व्यतीत किया. दिल्ली स्थित आवास पर बुधवार को उनका निधन हो गया. वह 92 वर्ष की थीं.
कपिला ने अपने जीवनकाल में 20 पुस्तकों के अलावा 200 से अधिक शोधपत्र लिखे. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में द स्कवायर एंड द सर्कल ऑफ इंडियन आर्ट्स, भारत:द नाट्य शास्त्र, डांस इन इंडियन पेंटिंग और क्लासिकल इंडियन डांस इन लिटरेचर एंड आर्ट्स, ट्रांसमिशन एंड ट्रांसफोरमेशन :लर्निंग थ्रू द आर्ट्स इन एशिया शामिल हैं.
कपिला का जन्म 1928 में दिल्ली में हुआ था और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स की डिग्री ली थी.
इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के विषय में अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय से मास्टर्स की पढ़ाई की तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी.
वात्स्यायन, कवि और आलोचक केशव मलिक की छोटी बहन थीं. उनका विवाह प्रख्यात साहित्यकार सच्चिदानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' के साथ 1956 में हुआ था हालांकि वह दोनों 1969 में अलग हो गये.
कपिला ने अच्छन महाराज के मार्गदर्शन में कत्थक, गुरु अमोबी सिंह के मार्गदर्शन में मणिपुरी नृत्य भी सीखा था. उन्होंने भरतनाट्यम और ओडिशी नृत्यों की भी शिक्षा ग्रहण की थी.
1987 में वात्स्यायन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक निदेशक थीं. वह राज्य सभा की मनोनीत सदस्य भी रही थी. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में एशिया परियोजना की अध्यक्ष भी थीं.
निधन पर शोक संदेश
कला एवं संस्कृति जगत की कई हस्तियों ने ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से वात्स्यायन को 'संस्थान निर्माता' के तौर पर याद किया.
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) के सचिव कंवल अली ने बताया कि गुलमोहर एन्क्लेव स्थित आवास पर आज सुबह नौ बजे उनका निधन हो गया. उन्हें 2011 में पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया था.
कलाविद् डॉ. कपिला वात्स्यायन के निधन पर प्रख्यात साहित्यकारों सहित अन्य हस्तियों और कला जगत के प्रमुख संस्थानों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) के सचिव कंवल अली ने कहा गुलमोहर एन्क्लेव में स्थित आवास पर आज सुबह नौ बजे उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार लोधी श्मशान घाट पर बुधवार दोपहर किया गया. वात्स्यायन, आईआईसी की आजीवन न्यासी थीं. उन्हें 2011 में पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया था.
प्रख्यात लेखक अशोक वाजपेयी ने वात्स्यायन के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया.