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तीन तलाक बिल में कमी है, तो कांग्रेस बहस में भाग ले- केन्द्रीय मंत्री नकवी

सदन में आज तीन तलाक बिल पेश होने के बाद से ही इस पर चर्चा तेज हो गई है. कुछ दल इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ इसमें खामियां निकालने से नहीं चूक रहे. ऐसे में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ईटीवी भारत से बात की.

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Published : Jun 21, 2019, 8:06 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 8:59 PM IST

मुख्तार अब्बास नकवी

नई दिल्ली: संसद में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल पेश किया, जिसके बाद कुछ लोगों ने खामियां गिनाईं तो कुछ ने समर्थन किया. अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी ईटीवी भारत से बात करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इस बिल को जल्द से जल्द पास कराने की बात कही.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तीन तलाक बिल पर कानून लाकर रहेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस 2019 में इस बिल का विरोध करने पर मात खा चुकी है बावजूद उसे अभी तक सबक नहीं मिला और वह एक बार फिर से लोकसभा में इस बिल का विरोध कर रही है. जहां तक प्रावधानों का सवाल है इसके कई प्रावधानों में संशोधन किया जा चुका है. विपक्ष ने कई संशोधनों की बात कही थी, जिसको सरकार ने मानते हुए आवश्यक बदलाव किए हैं. इसके बाद भी कांग्रेस विरोध कर रही है.

मुख्तार अब्बास नकवी से ईटीवी की बातचीत.

हालांकि जेडीयू के विरोध पर उन्होंने कहा कि मात्र राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए विरोध सही नहीं है. हम चाहते हैं कि यह बहस संसद में चल रही है और जिसे भी कोई कमी नजर आ रही है, वे संसद आए और उस पर चर्चा करें.

आगे वे कहते हैं कि सजा में 3 साल के प्रावधान की बात है. कांग्रेस ने मांग की थी कि इसे नॉन-बेलेबल की श्रेणी से हटा दिया जाए और उनकी मांग को सरकार ने मान भी लिया है. इसके अलावा भी कई बदलाव इस बिल के प्रावधानों में किए जा चुके हैं. बावजूद इसके विरोधी पार्टियां एक बार फिर से इसका विरोध कर रही है. यह महिलाओं के खासतौर पर अल्पसंख्यक महिलाओं की सामाजिक दशा-दिशा को सुधारने वाला बिल है और अगर फिर से यह पार्टियां इसका विरोध करती हैं, तो उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

नकवी आगे कहते हैं कि 2019 के चुनाव में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया है. उसकी वजह हलाला जैसी कुप्रथा और तीन तलाक जैसी कुप्रथा पर केंद्र सरकार ने उनके लिए कानून बनाने के बारे सोचा है. वहीं कांग्रेस अल्पसंख्यकों के मामले में राजनीति कर रही है, लेकिन उन्हें यह अहसास नहीं है कि यह अल्पसंख्यक महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए बनाया जा रहा कानून है, जिसमें उन्हें सहयोग करना चाहिए.

Last Updated : Jun 21, 2019, 8:59 PM IST

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