भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि कृतज्ञ राष्ट्र बहादुर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करता है, जिन्होंने पिछले साल इसी दिन पुलवामा, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों के हमले में अपनी जान गंवा दी थी.
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है कृतज्ञ राष्ट्र
14:12 February 14
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को राष्ट्रपति कोविंद ने दी श्रद्धांजलि
12:39 February 14
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को ममता ने दी श्रद्धांजलि
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. बनर्जी ने ट्वीट किया, '2019 में आज ही के दिन पुलवामा में एक आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को दिल से याद करती हूं. हम अपने बहादुर जवानों को नमन करते हैं और उनके परिवारों के प्रति एकजुटता एवं शोक व्यक्त करते हैं. जय हिंद.'
12:18 February 14
सीआरपीएफ महानिदेशक की शहीदों को श्रद्धांजलि
सीआरपीएफ महानिदेशक जुल्फिकर हसन ने लेथपोरा में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि घटना के कुछ महीने बाद ही पुलवामा हमले के षड्यंत्रकारियों खत्म कर दिया गया. उनकी मदद करने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिन लोगों ने हमले को अंजाम दिया था उनका हिसाब किया जा चुका है.
11:04 February 14
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को राजनाथ ने दी श्रद्धांजलि
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि देश शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा.
10:43 February 14
पुलवामा के शहीदों को नड्डा ने दी श्रद्धांजलि
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने श्रद्धांजलि दी.
10:39 February 14
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दी श्रद्धांजलि
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दी श्रद्धांजलि
10:33 February 14
उत्तर प्रदेश के शामली जिले का जवान भी हुआ था शहीद
शामली: 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में जिले के बनत कस्बा निवासी 37 वर्षीय प्रदीप कुमार शहीद हो गए थे. शहीद के पिता जगदीश ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, लेकिन बेटे की कमी हमेशा खलती है. उनको सरकार से कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि सरकार ने बेटे की शहादत का बदला ले लिया है. शहीद के पिता ने देश के प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि देश को उनकी जरूरत है.
2003 में भर्ती हुए थे प्रदीप
प्रदीप वर्ष 2003 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनकी पत्नी कामिनी और दो बेटे सिद्धार्थ और दुष्यंत फिलहाल गाजियाबाद में रहते हैं. गांव में रहने वाले पिता जगदीश भी अब गाजियाबाद में रहकर शहीद बेटे के परिवार की देख-रेख कर रहे हैं. बड़ा बेटा सिद्धार्थ फिलहाल अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता है. इसी वजह से अभी तक उसने सरकार द्वारा दी गई नौकरी को ज्वाइन नहीं किया है.
परिवार का कहना है कि शामली के डीएम अखिलेश कुमार उनकी विशेष मदद कर रहे हैं. परिवार के लोगों को कहना है कि सिद्धार्थ की पढ़ाई पूरी होने तक डीएम ने सरकारी नौकरी को होल्ड पर रखने के आदेश दे दिए हैं, जिसकी प्रति शहीद परिवार को भी उपलब्ध कराई गई है.
देश को ऐसे प्रधानमंत्री की है जरूरत
शहीद प्रदीप के पिता जगदीश ने ईटीवी भारत को बताया कि देश की सरकार ने पुलवामा हमले का बदला ले लिया है. केंद्र और प्रदेश सरकार ने सभी वादे भी पूरे कर दिए हैं. शहीद बेटे से जुड़ी यादों के बारे में पूछने पर उन्होंने नम आंखों से बताया कि बेटे पर गर्व होता है, क्योंकि उसने देश के लिए अपना बलिदान दिया.
शहीद के पिता ने कहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री बहुत ही सराहनीय काम कर रहे हैं. देश में कोई भी गलत काम नहीं किया जा रहा है, लेकिन विपक्ष छोटी-छोटी बातों को जरिए उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. जगदीश ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री बहुत अच्छे इंसान हैं, हम चाहते हैं कि देश को आगे भी ऐसे ही प्रधानमंत्री मिलें.
सेना की बहादुरी के किस्से सुनाते थे प्रदीप
परिजनों ने बताया कि प्रदीप जब भी घर आते थे तो परिवार और गांव समाज के लोगों को सैनिकों की बहादुरी के किस्से सुनाया करते थे. वे लोगों को बताते थे कि सेना किस तरह से आतंकियों का मुकाबला करती है.
देश की रक्षा के लिए तैनात जवानों पर कश्मीर में पत्थरबाजी के किस्से सुनकर परिवार के लोग और दोस्त उन्हें ड्यूटी के दौरान ऐतिहात बरतने के लिए भी कहते थे, लेकिन अब वह लोग ही शहीद प्रदीप की बहादुरी के किस्से सुनाते नजर आते हैं.
10:31 February 14
झारखंड के गुमला जिले के जवान ने दिया सर्वोच्च बलिदान
गुमला: 14 फरवरी 2019 की वो घटना जिसमें जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. शहीद होने वाले जवानों में गुमला जिला के बसिया प्रखंड क्षेत्र के फरसामा गांव के रहने वाले विजय सोरेंग भी शामिल थे. जवानों की शहादत के बाद जिन राज्यों के शहीद जवान रहने वाले थे, वहां की सरकारों ने शहीद के परिवारवालों को लाखों रुपए सहायता के तौर पर देने की घोषणा की थी.
शहादत के एक साल
वहीं, विजय सोरेंग के परिवारवालों को तत्कालीन सरकार ने 10 लाख सहायता के तौर पर दिया था. लेकिन इसमें सबसे बड़ी विडंबना यह है कि झारखंड सरकार के मंत्रियों, विधायकों सहित सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों की ओर से घोषित एक दिन का वेतन अभी तक शहीद के परिजनों को नहीं मिला है. जबकि विजय सोरेंग की शहादत को एक साल पूरे हो गए हैं.
सिर्फ घोषणा, लाभ नहीं
विजय सोरेंग के पार्थिव शरीर को रांची में राज्यपाल, उस समय के विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्री और अन्य वीआईपी ने श्रद्धांजलि दी थी. सूबे की सरकार की ओर से दस लाख, झारखंड के मंत्री और विधायक की ओर से एक दिन का वेतन, सचिवालय के पदाधिकारी और कर्मचारियों का एक दिन का वेतन दिए जाने की घोषणा की गई थी. मगर अब साल भर बीत गए अभी तक घोषणा अधूरी की अधूरी रह गई. इसी के साथ सीसीएल और बीसीसीएल के कर्मचारियों ने भी एक दिन का वेतन शहीद के परिवारवालों को देने की घोषणा की थी, लेकिन वह भी नहीं मिली.
'एक साल हो गए किसी ने सुध तक नहीं ली'
शहीद विजय सोरेंग की मां और पिता गांव में ही रहते हैं, जबकि उनकी पत्नी और बच्चे रांची में रहते हैं. शहीद विजय सोरेंग के पिता ने बताया कि जब बेटा शहीद हुआ था उस समय सरकार के साथ-साथ कई संस्थाओं की ओर से सहायता राशि देने की घोषणा की गई थी. लेकिन आज एक साल हो गए किसी ने सुध तक नहीं ली. वहीं काफी जद्दो-जहद के बाद सरकार की ओर से घोषित दस लाख रुपए की राशि ही मिली है.
BCCL, CCL पहले की काट चुकी है एक दिन का वेतन
बता दें कि बीसीसीएल की ओर से 90 लाख रुपए, जबकि सीसीएल की ओर से 84 लाख रुपए मार्च 2019 में ही अपने कर्मचारियों के एक दिन का वेतन काट कर जमा किया गया है.
जानकारी नहीं: डीसी
इस मामले पर जिले के उपायुक्त ने कहा कि सरकार की ओर से घोषित राशि शहीद के परिवारवालों को दी गई है. इसके साथ ही कई अन्य संस्थानों के लोगों ने भी शहीद के परिवारवालों को सहायता दी है. डीसी ने बताया कि अन्य घोषणा के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.
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'सरकारी कार्यों में लेट लतिफी तो आम बात'
बहरहाल, सरकारी कार्यों में लेट लतिफी तो आम बात है. जिस तरह से शहीद के परिवारवालों के साथ उनके बेटे की शहादत के बाद घोषणा को अमल में नहीं लाया गया है, उससे तो यही लगता है कि अब शहादत को भी लोग एक महज सरकारी घोषणा ही मानते हैं, जो कभी पूरा हुआ तो कभी अधर में लटक गया.
10:21 February 14
सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप में शहीदों को श्रद्धांजलि
10:17 February 14
श्रीनगर में सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप में शहीदों को श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप स्थित स्मारक पर पुलवामा हमले के शहीदों को को श्रद्धांजलि दी जा रही है.
10:13 February 14
पुलवामा के शहीदों की याद में बना स्मारक
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की याद में स्मारक बनाया गया है. सभी जवानों की याद में 40 देवदार के पेड़ भी लगाए गए हैं.
09:54 February 14
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पुलवामा में शहीद जवानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा की वे जवान असाधारण थे , जिन्होंने राष्ट्र की सेवा और रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. देश उनकी शहादत को कभी नहीं भूलेगा
09:09 February 14
उत्तर प्रदेश : शामली जिले का जवान भी हुआ कुर्बान, शहीद के पिता को है बेटे पर नाज
शामली: देश के लिए शहीद होना गर्व की बात है, लेकिन इससे भी बड़ा गर्व सिर्फ वो शख्स महसूस कर सकता है, जो किसी शहीद का पिता हो. पुलवामा हमले में शहीद शामली के अमित कोरी के पिता को भी अपने बेटे पर नाज है, क्योंकि बेटे के कारण लोगों ने उनके घर को मंदिर की तरह पूजना शुरू कर दिया है. सड़क से गुजरने वाले लोग यहां माथा टेककर ही आगे बढ़ते हैं. पिता अपने शहीद बेटे की आरती के बाद ही अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं.
चित्र के सामने जलता रहता है दीपक
पुलवामा हमले में शहीद हुए अमित कोरी का घर शामली के कुड़ाना रोड़ पर स्थित हैं. परिवार के लोग बताते हैं कि शहीद अमित कोरी की वजह से समाज में उन्हें विशेष मान-सम्मान मिलता है. बाहर सड़क से गुजरने वाले लोग घर पर माथा टेककर आगे बढ़ते हैं. घर पर शहीद के चित्र के सामने घी का दीपक जलता रहता है. परिवार के लोग रोजाना शहीद की पूजा आरती के बाद ही अपने काम शुरू करते हैं.
सरकार से खुश है शहीद का परिवार
शहीद का परिवार सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन से खुश हैं, क्योंकि अमित कोरी की शहादत के बाद सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन ने जो वादे किए थे, वह सभी पूरे हो गए हैं. परिवार को आर्थिक मदद में भी कोई परेशानी सामने नहीं आई. अधिकारी भी परिवार की शिकायतों पर फौरन सुनवाई करते हैं. प्रदेश सरकार द्वारा शहीद के छोटे भाई को सरकारी नौकरी भी दे दी गई है.
शीघ्र बनकर तैयार होगा शहीद स्मारक
पुलवामा हमले में शहादत हासिल करने वाले अमित कोरी के परिजनों ने अंतिम संस्कार के दौरान सरकार से बेटे के नाम पर स्मारक बनवाने की मांग की थी. उस दौरान स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा घर के पास ही शहीद स्मारक के लिए जमीन उपलब्ध करा दी थी. वर्तमान में इस जमीन पर शहीद का स्मारक बनकर लगभग तैयार हो चुका है. परिवार के लोग शीघ्र ही इस स्मारक का उद्घाटन कराने की भी सोच रहे हैं.
08:33 February 14
उत्तर प्रदेश के उन्नाव का लाल भी पुलवामा आतंकी हमले में हुआ था शहीद
उन्नाव:14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में उन्नाव के जांबाज अजीत कुमार आजाद भी शहीद हो गए थे. मासूम बेटी ईशा व श्रेया के सिर से पिता का साया तो पत्नी मीना की मांग का सिंदूर मिट गया. मां भारती की रक्षा में शहादत देने वाले अजीत की अंतिम यात्रा में हर आंख रोई थी. परिवार के गम में जिले के लोग ही नहीं सरकार के नुमाइंदे भी शरीक हुए थे.
एक साल का समय पूरा हो गया, लेकिन मोहल्ले का नाम शहीद के नाम पर नहीं हो सका और न ही शहीद द्वार बनाया जा सका. सरकारी नौकरी मिलने से मीना सरकार के प्रति संतोष तो व्यक्त कर रही हैं, लेकिन पिता कानून मंत्री की वादाखिलाफी को कोसते थक नहीं रहे.
उन्नाव का लाल हुआ था पुलवामा आतंकी हमले में शहीद
फरवरी की वो काली शाम जब पुलवामा आत्मघाती हमले में 40 शहीदों में उन्नाव की सरजमीं का एक और 'आजाद' देश के लिए शहीद हो गया था. कुछ ही पलों में पत्नी मीना गौतम की हंसती-खेलती जिंदगी गमों के पहाड़ के नीचे चकनाचूर हो गई थी.
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आज भी सिहर उठता है परिवार
उन्नाव के मोहल्ला लोकनगर निवासी अजीत कुमार आजाद सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में अजीत वीरगति को प्राप्त हो गए. अजीत कुमार आजाद की शहादत पर हर आंख रोई थी. जांबाज की शहादत को पूरे एक साल हो गए, लेकिन परिवार आज भी उस गम से बाहर नहीं निकल पाया. 8 वर्षीय बेटी ईशा व 6 साल की श्रेया आज भी पिता के आने का इंतजार कर रही हैं तो 14 फरवरी की उस रात के मंजर को याद कर आज भी पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम सिहर उठते हैं.
थलसेना में हवलदार हैं भाई
शहीद की पत्नी मीना गौतम की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति हो चुकी है. वहीं प्रशासन की तरफ से शहर के बाहरी हिस्से में शहीद स्मारक स्थल के लिए जमीन भी दी जा चुकी है. जिस पर जन सामान की सहयोग से इस स्मारक निर्माण का कार्य भी हो रहा है. शहीद का एक भाई मंजीत थलसेना में हवलदार के पद पर मां भारती की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात है, जिससे परिवार की देश सेवा की भावना का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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आज भी भर आती हैं मां की आंख
शहीद बेटे को याद कर आज भी मां फफक पड़ती हैं. शहीद के पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम कहती हैं कि जिस दिन देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा. वही दिन शहीदों की शहादत का असली दिन होगा. वहीं 8 साल की बेटी ईशा आजाद भविष्य में वैज्ञानिक बनकर पिता का सपना पूरा करने के साथ ही देश सेवा का जज्बा संजो रही हैं. इस सबके बीच शहीद के भाई रंजीत आजाद के मन में पीड़ा भी निकल कर सामने आई. उनका कहना था कि भाई की शहादत की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने शहीद स्मारक द्वार व मोहल्ले का नाम शहीद अजीत कुमार आजाद के नाम पर रखने की बात कही थी, जिसे एक साल पूरे होने को है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो सका.
08:31 February 14
पुलवामा हमले में शहीद जवानों को शाह ने दी श्रद्धांजलि
आज पुलवामा हमले के एक साल हो गए हैं. पहली बरसी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. अमित शाह ने कहा कि भारत शहीद जवानों और उनके परिवार के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा, जो देश की अखंडता और संप्रभुता अक्षुण्ण रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं.
08:04 February 14
पुलवामा हमले की बरसी पर श्रद्धांजलि
नई दिल्ली : 14 फरवरी का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. पिछले साल आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना. राज्य के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गये और कई गंभीर रूप से घायल हुए.
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने ट्वीट करके पुलवामा हमले में शहीद हो गए जवानों को श्रद्धांजलि दी.
2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाकर्मियों पर हुए हमले के जवाब में भारत ने बालाकोट में असैन्य कार्रवाई की थी. भारतीय वायुसेना ने कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था.