नई दिल्ली : भारत में 15 अगस्त तक कोविड19 वैक्सीन विकसित करने के प्रयास में रुकावट आ सकती हैं. दरअसल, वैक्सीन विकसित करने के लिए 12 में से केवल पांच क्लीनिकल साइटों को ही नैतिक समितियों द्वारा ट्रायल के लिए इजाजत दी गई है.
संबंधित नैतिक समितियों द्वारा अभी भी सात और क्लीनिकल साइटों को इजाजत मिलना बाकी है.
दिलचस्प बात यह है कि एम्स और विशाखापत्तनम स्थित किंग जॉर्ज अस्पताल की नैतिक समितियां क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी देने के बाद अब संकोच कर रही हैं क्योंकि उन्हें परीक्षणों के लिए प्रस्तुत प्रोटोकॉल में विसंगतियां मिली थीं.
उल्लेखनीय है कि समितियों को अनुमति के बिना वैक्सीन बनाने के लिए ट्रायल नहीं किया जा सकता.
ट्रायल के लिए जिन पांच क्लीनिकल साइटों को अनुमति मिली है उनमें गिलूरकर हॉस्पिटल एथिक्स कमेटी (नागपुर), इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी, (AIIMS-पटना), इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी, (IMS & SUM हॉस्पिटल-ओडिशा), इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी, SRM कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (तमिलनाडु) और NIMS संस्थागत आचार समिति (हैदराबाद) शामिल हैं. यह समितियां अभी भी प्रोटोकॉल की समीक्षा कर रही हैं.
सूत्रों ने कहा कि यह पांच आचार समिति वैक्सीन के लिए तैयार किए गए डिजाइन का मूल्यांकन कर रही हैं.