थुथुकुडी (तमिलनाडु):कोरोना वायरस महामारी ने समाज के कमजोर और हाशिए वाले वर्गों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी है. तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के 15 ट्रांसजेंडर लोगों ने अपनी रोजी-रोटी के लिए लोक कला सीखना शुरू कर दिया है.
कोरोना संकट के दौरान किए गए लॉकडाउन में ट्रांसजेंडरों ने अपनी आजीविका खो दी थी. अब ड्रम, ओयिलट्टम, काराकट्टम और घोड़ा नृत्य सीखने के बाद उन्हें आशा की किरण दिखाई दे रही है.
कोरोना संकट की वजह से लगे कर्फ्यू ने ट्रांसजेंडरों को कलाकारों में बदल दिया है. आजीविका कमाने के लिए ट्रांसजेंडर लॉकडाउन में नए कौशल सीख रहे हैं. 15 ट्रांसजेंडर लोगों ने पहली बार लोक कलाओं में प्रशिक्षण शुरू किया.
कोरोना वायरस के कारण लगे कर्फ्यू ने तीसरे लिंग को गांव के कलाकारों में बदल दिया है. किसी भी आय से वंचित ट्रांसजेंडर्स ने नए कौशल सीखने के लिए लॉकडाउन का उपयोग किया है. 15 ट्रांसजेंडरों ने पहली बार लोक कलाओं जैसे ड्रम नृत्य, ओयिलट्टम, करगट्टम और पोइक्कल घोड़ा नृत्य में प्रशिक्षण शुरू किया.
ईटीवी भारत ने ट्रांसपर्सन विजी से बात की, जिन्होंने इस पहल के लिए दूसरों को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि हमें ट्रांसजेंडर्स के लिए समाज की धारणाओं को बदलने की जरूरत है. जब हम खुद को ग्रामीण कलाकारों के रूप में पेश करेंगे तो हम ये मानते हैं कि हमारी पहचान हमारे कौशल के कारण बनेगी.
शंकर जो एक लोक कलाकार और प्रशिक्षक हैं, जिन्होंने जिले के कई लोगों को प्रशिक्षित किया है, वर्तमान में ट्रांसजेंडरों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं. ट्रांसजेंडर्स के साथ अपने काम के अनुभवों के बारे में बोलते हुए शंकर ने कहा कि यह एक अलग अनुभव था. सभी ने 10 दिनों में अच्छी ट्रेनिंग ली है. वे अपने कौशल के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. ग्रामीण कलाएं समाज को उनके देखने के तरीके को बदल सकती हैं.