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ट्रेड यूनियनों ने किया कोयला क्षेत्र में केंद्र सरकार के निजीकरण का विरोध

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Published : Jun 19, 2020, 10:28 PM IST

केंद्र सरकार ने कोयला क्षेत्र में निजीकरण के निर्णय लिया है. केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने इसका विरोध किया है और तीन दिवसीय हड़ताल के आह्वान की घोषणा की है. इतना ही नहीं ट्रेड यूनियनों ने सरकार के सामने पांच प्रमुख मांगे भी रखी हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

Strike call by Trade Unions
ट्रेड यूनियनों ने किया निजीकरण का विरोध

नई दिल्ली : कोयला क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के निर्णय के खिलाफ उद्योग से जुड़े संगठनों के साथ साथ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी इसका विरोध किया है. आज देशभर के 10 ट्रेड यूनियन ने कोयला उद्योग से जुड़े संगठनों के द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल के आह्वान को अपना समर्थन देने की घोषणा की है.

दो, तीन और चार जुलाई को कोयला उद्योग से जुड़े संगठनों ने मोदी सरकार के निर्णय के विरोध में हड़ताल के लिए 18 जून को नोटिस दिया था.

पत्र.

इससे पहले 10 और 11 जून को भी कोयला उद्योग से जुड़े संगठनों ने दो दिवसीय हड़ताल कर सरकार से कमर्शियल माइनिंग, निजीकरण और सीएमपीडीआई (CMPDI) को सीआईएल (CIL) से अलग करने के निर्णय को वापस लेने की मांग की थी, लेकिन 18 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने खुद एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कोयला क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोलने की औपचारिक घोषणा कर दी.

अब कोल यूनियन और सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने सरकार के निर्णय के विरोध में मोर्चा खोल दिया है और तीन दिवसीय हड़ताल का एलान सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

आज देश के दस प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने तीन दिवसीय हड़ताल को समर्थन दे कर कोयला यूनियन के विरोध को और बल दे दिया है.

ट्रेड यूनियनों ने सरकार के सामने पांच प्रमुख मांगे रखी हैं जो इस प्रकार हैं-

  • कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग के निर्णय को वापस लिया जाए.
  • निजीकरण पर तत्काल रोक.
  • सीपएमपीडीआईएल (CMPDIL) को सीआईएल (CIL) से अलग न किया जाए.
  • अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों को भी HPC/CIL का बढ़ा हुआ वेतन मिले.
  • नेशनल कोल वेज के अधिनियम 9.3.0,9.4.0,और 9.5.0 को लागू किया जाए.

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