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आदिवासी और गोरखा समुदाय के बीच फंसती दिख रही तृणमूल कांग्रेस - गोरखा जनमुक्ति मोर्चा

आदिवासी और गोरखा समुदाय के बीच फंसती तृणमूल कांग्रेस दिख रही है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और आदिवासी विकास पार्षद तृणमूल को समर्थन दे रहे हैं. पढ़ें क्या है मामला.

Mamata Banerjee
ममता बनर्जी

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Published : Dec 25, 2020, 10:46 PM IST

कोलकाता : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और दार्जिलिंग पहाड़ियों की राजनीति मूल रूप से एक-दूसरे के पूरक हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दार्जिलिंग से अपना सांसद मिला और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर बीजेपी के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का समर्थन नहीं होता तो यह हमेशा एक सपना होता.

अक्टूबर के अंत में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था. जीजेएम नेता ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि वे तृणमूल कांग्रेस के साथ रहना चाहेंगे. ममता बनर्जी की पार्टी ने इस अवसर को भी हड़प लिया क्योंकि तृणमूल भी पहाड़ियों में अपना स्थान फिर से हासिल करना चाहती है.

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अब इस संदर्भ में, कुछ दिन पहले बिमल गुरुंग ने मालबाजार में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया. वहां उन्होंने कहा कि उन्होंने अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर को आगामी चुनाव में मालबाजार विधानसभा क्षेत्र के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम भेजा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उम्मीदवार गुरुंग और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के करीबी विश्वासपात्र हैं.

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मालबाजार एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है. यहां हमेशा चुनाव में आदिवासी उम्मीदवार रहा है. चाहे वह कांग्रेस का शासनकाल हो या वाम शासनकाल का. निर्वाचन क्षेत्र के 2.5 लाख मतदाताओं में से लगभग 1 लाख मतदाता आदिवासी समुदाय से हैं. इधर, आदिवासी विकास पार्षद भी टीएमसी का समर्थन कर रहा है और वो वहां आदिवासी उम्मीदवार चाहता है.

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इस संदर्भ में, टीएमसी जिला कोर कमेटी ने तत्काल आधार पर बैठक बुलाई. टीएमसी जिला समिति भी यहां एक आदिवासी उम्मीदवार चाहती है. उन्होंने उच्च नेतृत्व को भी अपनी प्राथमिकता बता दी है. क्षेत्र में टीएमसी अब आदिवासी समुदाय और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बीच फंसती जा रही है.

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