कोलकाता : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और दार्जिलिंग पहाड़ियों की राजनीति मूल रूप से एक-दूसरे के पूरक हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दार्जिलिंग से अपना सांसद मिला और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर बीजेपी के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का समर्थन नहीं होता तो यह हमेशा एक सपना होता.
अक्टूबर के अंत में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था. जीजेएम नेता ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि वे तृणमूल कांग्रेस के साथ रहना चाहेंगे. ममता बनर्जी की पार्टी ने इस अवसर को भी हड़प लिया क्योंकि तृणमूल भी पहाड़ियों में अपना स्थान फिर से हासिल करना चाहती है.
पढ़ें-पीएम मोदी का किसानों से संवाद, ट्रांसफर किए ₹18 हजार करोड़
अब इस संदर्भ में, कुछ दिन पहले बिमल गुरुंग ने मालबाजार में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया. वहां उन्होंने कहा कि उन्होंने अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर को आगामी चुनाव में मालबाजार विधानसभा क्षेत्र के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम भेजा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उम्मीदवार गुरुंग और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के करीबी विश्वासपात्र हैं.