कोरबा : पिछ्ले दो सालों में कोरबा और धर्मजयगढ़ वनमंडलों में 18 लोगों को मौत की नींद सुलाकर दहशत का पर्याय बन चुके आक्रामक 'गणेश' को काबू में करने के लिए वन विभाग ने 'दुर्योधन' और 'तीरथराम' को बुलाया है. ये दोनों बेकाबू हो चुके जंगली हाथियों को काबू में करने वाले प्रशिक्षण प्राप्त कुमकी हाथी हैं, जो कुदमुरा के जंगलों में गणेश की तलाश कर रहे हैं. अब इन्हीं की सहायता से वन अमला गणेश के गले में दोबारा रेडियो कॉलर आईडी बांधने के प्रयास में लगा हुआ है.
दरअसल, पिछले 14 मई को गणेश के गले में एक साल पहले लगाई गई रेडियो कॉलर आईडी जंगल में टूटी हुई मिली थी. इस कॉलर आईडी से वन विभाग को गणेश की लोकेशन का पता चलता था. विभाग गणेश की मौजूदगी वाले इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी कराकर लोगों को सचेत करता था, जिससे गणेश से लोगों को बचाया जा सके और जनहानि न हो.
सालभर पहले लगाई गई थी कॉलर आईडी
लगभग एक साल पहले कड़ी मशक्कत के बाद गणेश के गले में वन अमले ने कर्नाटक से आई वाइल्डलाइफ टीम की मदद से रेडियो कॉलर आईडी लगाई थी. इसी दौरान गणेश जंजीर तोड़कर फरार भी हो गया था. तब से ही वह मौत बनकर खुले में घूम रहा है. गणेश ने पिछले लगभग दो से तीन वर्षों में 18 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. कोरबा और धरमजयगढ़ के जंगलों में अलग-अलग क्षेत्रों में गणेश ने ग्रामीणों को कुचल कर मार डाला है. गणेश के व्यवहार और उसके आचरण की भी वन अमला लगातार निगरानी कर रहा है. गणेश के आक्रामक स्वभाव के मद्देनजर उसे कैद करने की भी योजना थी, लेकिन इस योजना पर आगे काम नहीं हो पाया था.
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ग्रामीणों में दहशत
गणेश के गले में कॉलर आईडी लगे होने से वन विभाग के माध्यम से ग्रामीणों को गणेश के लोकेशन की जानकारी मिल जाती थी. लेकिन अब यह नहीं हो पा रहा है. खासतौर पर कुरमुरा रेंज के ग्रामीण गणेश के नाम से थर्रा उठते हैं. गणेश का लोकेशन नहीं मिल पाने के कारण इस क्षेत्र के ग्रामीण दहशत में हैं.