नई दिल्ली : 16 दिसंबर, 2012 को 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील बुधवार को ठुकरा दी. दिल्ली में दिसंबर, 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी. इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी.
मुकेश कुमार सिंह दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों -मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के आदेश पर अमल के लिये आवश्यक वारंट जारी किये थे.
इससे पहले अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिये वारंट जारी किये थे. एक नजर इस मामले के सिलसिलेवार घटनाक्रम पर :
16 दिसंबर, 2012
- पैरामेडिकल छात्रा के साथ निजी बस में छह लोगों ने बलात्कार कर चलती बस से सड़क पर फेंक दिया.
17 दिसंबर, 2012
- बस चालक राम सिंह, उसका भाई मुकेश, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और एक नाबालिग आरोपियों के रूप में पहचाने गए.
18 दिसंबर, 2012
- पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया.
21 दिसंबर, 2012
- दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल से पकड़ा गया नाबालिग.
22 दिसंबर, 2012
- छठा आरोपी अक्षय ठाकुर बिहार में गिरफ्तार.
29 दिसंबर, 2012
- पीड़ता ने सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ा.
3 जनवरी, 2013
- पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की.
28 फरवरी, 2013
- किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोप लगाए.
11 मार्च, 2013
- मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की.
31 अगस्त, 2013
- जेजेबी ने नाबालिग आरोपी को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए विशेष सुधार गृह भेजा.
13 सितंबर, 2013
- चार शेष आरोपियों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मौत की सजा सुनाई.
13 मार्च, 2014
- दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
3 अप्रैल, 2016
- सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू की गई.
5 मई, 2016
- सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय, विनय, पवन और मुकेश को मृत्युदंड दिया.
29 अगस्त, 2016
- अदालत में पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया.
3 फरवरी, 2017
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई शुरू की.
27 मार्च, 2017
- कोर्ट ने मामले की एक साल तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
5 मई, 2017
- अदालत ने मौत की सजा को चुनौती देने वाले चार दोषियों की याचिकाओं को खारिज किया.