नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सूचना का अधिकार या आरटीआई के दायरे में लाने की मांग की जा रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आरटीआई है क्या, और आरटीआई से जुड़ी वे कौन सी अहम घटनाएं हैं, जिस पर आलोचक सरकार पर सवाल खड़े करते रहे हैं.
सबसे पहले जानते हैं, क्या है सूचना का अधिकार कानून यानि आरटीआई
- साल 2005 में संसद से बिल पारित होने के बाद 12 अक्टूबर, 2005 को कानून बना.
- आरटीआई कानून से नागरिकों को सरकारी विभागों से सूचनाएं मांगने का अधिकार मिलता है.
- संविधान के आर्टिकल 19 और 21 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में आरटीआई को मौलिक अधिकार बताया है.
अब जानते हैं कि आरटीआई कानून से क्या होता है?
- आरटीआई कानून के तहत सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय होती है. उन्हें समयबद्ध तरीके से सूचनाएं मुहैया करानी होती हैं, ऐसा न करने पर जुर्माने का प्रावधान है.
- आरटीआई कानून सरकारों को स्वत: पारदर्शिता के दिशानिर्देश देता है.
ये जानना भी दिलचस्प है कि आरटीआई के दायरे में कौन सी सूचनाएं आती हैं ?
- दरअसल, आरटीआई के तहत सरकारों से वे सभी सूचनाएं मांगी जा सकती हैं, जिसे सरकार संसद या राज्य की विधानसभा के पटल पर रखती हैं.
इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कार्यालय को भी आरटीआई के दायरे में लाने की मांग की जा रही है. चीफ जस्टिस को आरटीआई के दायरे में लाए जाने की मांग का विवरण जानने से पहले, आरटीआई की उत्पत्ति और हालिया बदलाव देखना महत्वपूर्ण है.
- दरअसल, 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई. इसके बाद आरटीआई कानून में कुछ संशोधन किए गए.
जुलाई, 2019 में हुए संशोधन के बाद आरटीआई में कई बदलाव हुए.
- दरअसल, 25 जुलाई, 2019 को संसद से पारित किए गए बिल के बाद, केंद्र सरकार को सूचना आयुक्तों की सैलरी और उनका सेवाकाल तय करने का अधिकार मिल गया है.
- आरटीआई कानून में हुए इस संशोधन की आलोचना भी हो रही है. पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्तों ने इस कदम को मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों को धमकाने या लुभाने का एक कदम करार दिया है.
- आलोचकों का आरोप है कि संशोधन के बाद सूचना आयुक्त सरकारों के दबाव में रहेंगे.
- हालिया संशोधनों के बाद आलोचकों का मानना है कि कानून में संशोधन के बाद सूचना अधिकारियों को मनमाने तरीके से हटाना या सेवा विस्तार दिया जा सकेगा.
- सूचना आयुक्तों की सैलरी बढ़ाना या घटाना, अधिकारियों के सत्तारूढ़ दलों के साथ संबंधों पर निर्भर करेगा.