नई दिल्ली: जेसिका लाल हत्याकांड और प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड के दोषी जल्द ही जेल से रिहा हो सकते हैं. लंबे समय से जेल में बंद इन दो कैदियों समेत 200 से ज्यादा कैदियों को छोड़ने पर विचार किया जा रहा है.
तिहाड़ प्रशासन ने इनकी सूची तैयार कर ली है. जिसपर अंतिम फैसला सेंटेंस (सजा) रिव्यू बोर्ड को लेना है. इसकी आगामी बैठक में यह तय हो जाएगा कि इनमें से कौन रिहा होगा और कौन जेल में ही रहेगा.
तिहाड़ से रिहा हो सकते हैं हत्या के दोषी समय-समय पर होती है कैदियों के व्यवहार की समीक्षा
जानकारी के अनुसार अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को पूरा करने के बाद ही कैदी को छोड़ा जाता है. उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की भी समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
इस दौरान कैदी के व्यवहार, जेल नियमों का पालन, उसकी रुचि आदि को देखते हुए तिहाड़ प्रशासन सेंटेंस रिव्यू बोर्ड से सजा की समीक्षा के लिए अपील करता है.
रिव्यू बोर्ड अगर कैदी को छोड़ने या सजा कम करने की मंजूरी देता है तो उसे उपराज्यपाल को भेजा जाता है. उनकी मंजूरी के बाद ही कैदियों को रिहा किया जाता है.
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205 नामों की सूची तैयार की गई है
तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि इस बार रिव्यू बोर्ड के लिए 205 नामों की सूची तैयार की गई है. इसमें दिल्ली के चर्चित जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा एवं प्रियदर्शिनी मट्टु हत्याकांड के दोषी संतोष कुमार का नाम शामिल है.
दोनों लंबे समय से तिहाड़ जेल में बंद हैं. इनके अलावा हत्या, लूट, डकैती, आतंकी घटना एवं पाकिस्तानी कैदी सहित कई गंभीर अपराधों में शामिल रहे दोषियों के नाम भी शामिल हैं. आपको बता दें कि, बुद्धा जयंती पार्क सामूहिक दुष्कर्म के दोषी भी इस सूची में शामिल हैं.
शुक्रवार को होगी बैठक
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की बैठक होनी है. जिसकी अध्यक्षता दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन करेंगे. अगर इसमें भेजी गई सूची पर मुहर लग जाती है तो इन सभी कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा.
कुछ नामों को पहले किया जा चुका है खारिज
इस सूची में कुछ ऐसे दोषियों के नाम भी शामिल हैं जिनका नाम पहले बोर्ड खारिज कर चुका है. जेल में बंद मनु शर्मा को लेकर पिछले वर्ष दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिवार की तरफ से कोई विरोध नहीं जताया गया था, लेकिन इसके बावजूद गृह मंत्रालय ने उसे छोड़ने की अनुमति नहीं दी थी.
प्रियदर्शनी हत्याकांड के दोषी संतोष की रिहाई पर एक बार रिव्यू बोर्ड मुहर लगा चुका है, लेकिन उपराज्यपाल ने इसे खारिज कर दिया था.