धर्मशाला/हैदराबाद: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. इस पर तिब्बत के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय का कहना है कि चीन को भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और इस संकट के समय में पूरी दुनिया को भारत के साथ खड़े होना चाहिए. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में तिब्बती प्रधानमंत्री और निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति ने कहा कि तिब्बत मुख्य मुद्दा है, जिसे भारत की हिमालयी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए समाधान की आवश्यकता है.
तिब्बती प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन देश के आंतरिक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह सब कर रहा है. चीन पर आंतरिक दबाव है, क्योंकि पार्टी गुटों के भीतर कुछ मतभेद हैं. देश में बेरोजागारी बढ़ गई है, अर्थव्यवस्था पर भी खासा असर पड़ा है. बाहर से कोविड-19 को लेकर देशों ने उसपर जांच के लिए दबाव बनाया है. इसलिए वह सीमा पर विवाद खड़े कर रहा है.
चीन की विस्तारवादी नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चीन की अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घकालिक रणनीति है. अल्पावधि रणनीति का इस्तेमाल आंतरिक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया गया है. 1950 के दशक में तिब्बत पर कब्जा करना उनकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा था. चीन के लिए तिब्बत हथेली है. अब वह पांचों उंगलियों पर कब्जा जमाने की कोशिश करेंगे. इनमें लद्दाख, नेपाल, भूटान, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं. डोकलाम में जो हुआ और नेपाल के उपर दबाव बनाना यह उनकी दीर्घकालिक रणनीति का ही हिस्सा है. जब तक तिब्बत के मुद्दे को हल नहीं किया जाएगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी.