नई दिल्ली : बीते चार दिनों में अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर की भारतीय इकाई, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी भारत बायोटेक ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से अपने-अपने कोविड-19 के संभावित टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए मंजूरी मांगी है.
इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने मीडिया को बताया कि भारत में कोविड-19 की स्थिति स्थिर हो गई है और संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या भी कम हो रही है, जबकि कई अन्य देशों में महामारी की स्थिति गंभीर हो रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में संक्रमण के बढ़ते मामलों से चिंता हुई थी लेकिन अब राष्ट्रीय राजधानी की स्थिति भी स्थिर हो गई है.
यह पूछे जाने पर कि टीका निर्माताओं को लाइसेंस देने के लिए आपात स्थिति में इस्तेमाल करने के वास्ते मंजूरी देने संबंधी ठोस कानून नहीं होने की वजह से डीसीजीआई क्या कदम उठाएगा, तो केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सभी देशों के नियामक ढांचे या नियमों एवं कानूनों में आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी का जिक्र होता है.
आपात मंजूरी के लिए विशेष विशिष्ट प्रावधान
स्वास्थ्य सचिव भूषण ने कहा, 'तथ्य यह है कि अगर किसी देश के राष्ट्रीय नियामक रूपरेखा में इस शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो, इसका मतलब यह नहीं है कि उस देश के पास मंजूरी प्रदान करने का प्रावधान नहीं है.' उन्होंने कहा, 'भारत की नियामक रूपरेखा में आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी देने का विशिष्ट प्रावधान है. हालांकि इस शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया गया है.'
नई औषधि एवं क्लिनिकल परीक्षण नियम 2019 स्पष्ट करते हैं कि विशेष स्थिति में मंजूरी पर विचार किया जा सकता है.
तीन पूर्व क्लिनिकल परीक्षण के चरण में
भूषण ने कहा, 'यह हमारा कानून है. इसी तरह से अन्य देशों के अपने कानून हैं.' गौरतलब है कि भारत के कोविड-19 टीकों का मोटा-मोटी परिदृश्य देते हुए भूषण ने कहा कि नौ टीके विकास के अलग-अलग चरणों में हैं. उन्होंने कहा कि कुल नौ टीके हैं, जिनमें से छह क्लिनिकल परीक्षण और तीन पूर्व क्लिनिकल परीक्षण के चरण में हैं.