नई दिल्ली : साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कर्नल इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस समय साइबर हैकर्स द्वारा उन देशों या संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है, जो कोरोना महामारी से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं.
अमेरिका और कनाडा ने हैकिंग समूहों की दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों को सामने लाने के लिए यूके के साथ हाथ मिलाया है.
उन्नत स्थाई खतरा समूह (Advanced Persistent Threat groups ) आमतौर पर राष्ट्र-राज्य या राज्य-प्रायोजित समूह होते हैं, जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से समझौता करने और अन्य देशों से संबंधित नेटवर्क तक पहुंच बनाने के लिए काम करते हैं. कई सक्रिय हैकिंग समूह मौजूद हैं और उनका लक्ष्य आमतौर पर सभी को पता है.
थ्रीट ग्रुप APT29 की शुरुआत 2008 के आसपास हुई थी. वे अपनी हैकिंग हथियारों के साथ-साथ हमले की रणनीतियों और बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार कर रहे हैं. कुछ साइबर सिक्योरिटी शोधकर्ताओं का मानना है कि APT29 FSB या रूसी संघीय सुरक्षा सेवा (Russian Federal Security Service) द्वारा वित्त पोषित और समर्थित है.
मैलवेयर वेलमेस और वेलमेल पहले एपीटी 29 के साथ सार्वजनिक रूप से संबद्ध नहीं थे.