भीलवाड़ा : कोरोना संक्रमण की दृष्टि से भीलवाड़ा को कभी वुहान तो कभी इटली की संज्ञा दी जा रही थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने सरकारी मशीनरी के बेहतरीन उपयोग की बदौलत प्रदेश के पहले कोरोना एपीसेंटर को पूरे देश के लिए रोल मॉडल में तब्दील कर दिया. कोरोना का केंद्र शहर का एक अस्पताल था लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्र और पड़ोसी जिलों पर इसका असर होना निश्चित था. अस्पताल में इलाज के लिए आए रोगियों के संपर्क में आने वालों की पहचान करना लगभग असंभव कार्य था.
जिला कलेक्टर ने ग्राम स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार को कमान सौंपी. सिर्फ सात दिन में जिले में 22 लाख से अधिक लोगों का सर्वे कर लिया गया. सर्वे से प्रशासन के सामने जिले की एक स्पष्ट तस्वीर उभर कर आई. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की आहट ही हुई थी कि एक निजी अस्पताल के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने की पुष्टि होने से भीलवाड़ा अचानक एक हॉट स्पॉट के रूप में सामने आ गया. स्थानीय प्रशासन के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी.
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सबसे बड़ी समस्या संक्रमितों के निकट संपर्क करने वालों की पहचान और उनकी सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करना थी. संक्रमण को कम्युनिटी संक्रमण में बदलने से रोकने में जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट का त्वरित निर्णय मील का पत्थर साबित हुआ. चिकित्सा विभाग के माध्यम से शहरी सीमा में सर्व कर लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की जा रही थी, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जमीनी स्तर की मशीनरी को इसके लिए उपयोग में लाया गया.
प्रशासन ने राजस्व, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, शिक्षा, कृषि, चिकित्सा सहित अन्य विभाग के सबसे निचले स्तर के तीन-तीन कार्मिकों की 1948 टीम बनाई गई. लगभग छह हजार लोगों को एक साथ फील्ड में झोंक कर सात दिन के भीतर जिले के पूरे ग्रामीण क्षेत्र का सर्वे कर लिया गया, यह इतना आसान नहीं था. जमीनी स्तर पर हुए सर्वे की रिपोर्ट उपखंड स्तर से होकर उसी दिन जिला स्तर तक पहुंचाना होता था. अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन की कोर टीम रात को 3 बजे तक आंकड़े संग्रहण का कार्य करती थी. त्वरित डाटा संग्रहण के परिणामस्वरूप प्रशासन को अगले निर्णय लेने में काफी आसानी रही.
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पहले चरण के सर्वे में 16 हजार से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गई जो सामान्य सर्दी-जुकाम से पीड़ित थे. इन्हें घर में ही रहते हुए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने और स्वच्छता की आदतें अपनाने की सलाह दी गई. दूसरे चरण में इन्हीं लोगों पर फोकस किया गया. जिन्हें अभी भी सर्दी-जुकाम की शिकायत थी, उनका मेडिकल स्क्रीनिंग करवाया जा रहा है. इनमें से संदिग्धों को भीलवाड़ा मुख्यालय पर कोरोना की जांच के लिए लाया जा रहा है.
जिले में अभी तक लिए गए करीब ढाई हजार से ज्यादा नमूने में अधिकांश यह लोग शामिल है. प्रशासन के त्वरित और दूरगामी सोच वाले फैसलों ने भीलवाड़ा को देश में एक मिसाल के रुप में स्थापित कर दिया है. इस मौके पर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि कोरोना की चेन कम करने के लिए भीलवाड़ा जिला प्रशासन मुस्तैद है जमीनी धरातल पर पूरी टीम काम कर रही है. सर्वे टीम को दो-दो चार्ट दिए गए हैं. जिसके आधार पर स्क्रीनिंग की गई थी, जिससे हमे बहुत आसानी हुई.