पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से कम का वक्त रह गया है, बावजूद दोनों खेमों में सीटों के बंटवारे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. चाहे वह राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन (राजग) हो या महागठबंधन. सीटों का मुद्दा तय न होने के कारण उम्मीदवार भी असहज महसूस कर रहे हैं.
राजग और महागठबंधन के नेताओं ने इस मुद्दे को सुलझाने का दावा किया है, लेकिन बिहार की राजनीति के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह एक आसान काम नहीं लगता है. दो दिन पहले जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कर्पूरी सभा में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सीट का बंटवारा जल्द कर दिया जायेगा.
हालांकि, जिस तरह से लोक जनशक्ति पार्टी ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में यह दल राजग का दामन छोड़ सकता है. राजग-जद यू और लोजपा के दो सहयोगियों के बीच एक शीत युद्ध चल रहा है और उनकी दरार अब साफ नजर आने लगी है. दोनों पक्ष सीटों के बंटवारे के मुद्दों पर समझौता करने की हालत में नहीं लग रहे हैं.
लोजपा पहले ही 143 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने का मन बना चुकी है और उनकी पार्टी के नेता इस तरह के बयान बार-बार देते रहे हैं. दल के सूत्रों ने बताया है कि नितीश कुमार ने पिता के स्वास्थ्य को लेकर जिस तरह से बात की है, उससे लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान वास्तव में नाराज हैं.
कुछ दिन पहले, पत्रकारों ने जब नीतीश से पूछा था कि रामविलास इन दिनों अस्वस्थ हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया था कि वह उनकी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में नहीं जानते हैं. नीतीश का बयान उस समय आया था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रामविलास के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ले चुके थे.
सीट बंटवारे में देरी के पीछे एक और कारण ये भी है कि जदयू और भाजपा के बीच 51 सीटों में बंटवारा है, क्योंकि दोनों दलों ने 2015 के विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि सीटों का विभाजन वोटों की हिस्सेदारी के आधार पर होना चाहिए. इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल के कई विधायक, जिन्होंने पहले बीजेपी और लोक जनतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवारों को हराया था, जद यू में शामिल हो गए हैं. नीतीश के लिए उन विधायकों को समायोजित करना कठिन साबित हो रहा है, जिन्होंने राजद की जगह अब जद यू में अपनी निष्ठा जताई है.
ऐसी ही स्थिति महागठबंधन में भी दिखाई दे रही है, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने खुले तौर पर घोषणा की है कि वह तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेंगे. कुशवाहा का गठबंधन से बाहर जाना लगभग अब निश्चित है.
बिहार में हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहले ही राष्ट्रीय जनता दल का साथ छोड़कर राजग से हाथ मिला चुके हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी यह घोषित करके साहसिक कदम उठाया कि यदि उसे सम्मानजनक तरीके से सीटें नहीं दी जायेंगी तो वो सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है.