चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद सृजन के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह यह रक्षातंत्र में उच्च स्थान पर रहेगा और इसका कार्यक्षेत्र कैसा होगा. मोदी सरकार काफी समय से लंबित पड़े इस मामले पर कदम उठाने के लिए बधाई की पात्र है. लेकिन जिस सीडीएस के पद के बारे में साल 2001 में सोचा गया था, उसकी कामयाबी इस बात पर निर्भर है कि भारत सरकार के प्रशासनिक तंत्र में इस पद को क्या स्थान और हक मिलते हैं.
CDS का पद सृजित करने के पीछे मंशा थी कि यह पद देश की सरकार के लिए रक्षा से जुड़े मामलों पर राय लेने और जानकारी का एकल केंद्र बिंदु रहेगा. CDS के पद को मौजूदा सेना, वायु सेना और नौ सेना प्रमुखों के ऊपर रखा जाना था और कुछ लोगों ने तो इसे एक पांच सितारा पद बानाने की भी वकालत की है. इस मसले पर अन्य गणतंत्रों के तरीको को भी, भारत में लागू करने के लिए अध्ययन किया गया.
हालांकि, आखिरकार जो तस्वीर सामने आई है, वह काफी हद तक भारतीय मॉडल है और मौजूदा मोदी सरकार की रक्षा नीतियों से मेल खाती है. इस मामले पर जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञपति से पता चलता है कि CDS सेना के तीनों अंगों की तरफ से रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहाकार के तौर पर काम करेगा.
सेना के तीनों अंगों के प्रमुख अपने विभागों के बारे में सीधे रक्षा मंत्री को सलाह देते रहेंगे. CDS का तीनों सेना प्रमुखों के ऊपर कोई सैन्य अख्तियार नहीं होगा, इससे राजनीतिक नेतृत्व को सही राय देने में मदद मिलेगी.
इससे यह साफ है कि CDS, रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहाकार के तौर पर काम करेगा न कि एकल केंद्र बिंदु की तरह. CDS के दो रोल रहेंगे, पहला, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (COSF) के पर्मानेंट अध्यक्ष का औेर दूसरा, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के मुखिया का.
CDS को तन्ख्वाह और अन्य सुविधाऐं सेना के अन्य अंगों के प्रमुखों के बराबर मिलेगी, लेकिन प्रोटोकोल में सीडीएस का स्थान अन्य प्रमुखों से ऊपर होगा.
CDS के कार्यक्षेत्र में, रक्षा खरीद में एकाग्रता, सेना के सभी अंगों में भर्ती को लेकर समन्वय बैठाना, सेना के ऑपरेशनों में सभी अंगों को एक साथ लाकर संसाधनों का सही और ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना, और देश में बने उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना शामिल है.
आजाद भारत में, सैन्य-नागरिक रिश्तों के लिहाज से, डीएमए का अध्यक्ष CDS को नियुक्त करना एक अहम कदम है. अगर जिस तरह CDS को ताकत देने के बारे में कहा गया है, उसे सही तरह से लागू किया जाता है तो यह पहली बार होगा कि सेना को आधिकारिक तौर पर गवर्नेंस में शामिल किया जाएगा.