कोलकाता : कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण का उद्घाटन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एनआईसीईडी, कोलकाता में किया.
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्य में केंद्र सरकार की योजना आयुष्मान भारत का कार्यान्वयन न किए जाने से चिकित्सा अवसंरचना पर दबाव पड़ा. उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान इस योजना ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई.
कोविड-19 के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को शुरू करने के बाद उन्होंने यहां आईसीएमआर-निसेड में कहा कि संविधान सभी को साथ लेकर चलने की वकालत करता है और संघर्ष के रवैये के साथ काम नहीं हो सकता.
धनखड़ ने कहा, पूरे देश में आयुष्मान भारत के कारण हम चिकित्सा जगत में विकास देख सकते थे. दुर्भाग्य से कुछ लोग इसमें भाग नहीं सके. हमारा पश्चिम बंगाल इसमें भाग नहीं ले सका. इस कारण से हमारी स्वास्थ्य अवसंरचना पर दबाव पड़ा.
तृणमूल सरकार ने सितंबर में कहा था कि वह योजना को राज्य में लागू नहीं करेगी यदि इसके लिए पैसा राज्य सरकार से खर्च होता है.
पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम कोरोना वायरस के संभावित टीके कोवैक्सिन के तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के तहत पहला टीका लिया. तीसरे चरण में टीका लेने वाले वह पहले स्वयंसेवक बन गए हैं.
उल्लेखनीय है कि कोवैक्सिन का तीसरे चरण का नियामकीय परीक्षण कोलकाता स्थित आईसीएमआर - राष्ट्रीय हैजा और आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) में शुरू हुआ.
टीका लेने के बाद 62 वर्षीय मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, मैं भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि मैं इस परीक्षण का हिस्सा बना हूं. टीका लेने के बाद में बिल्कुल ठीक हूं. मुझे फर्क नहीं पड़ता अगर इस परीक्षण के दौरान मेरी मौत भी हो जाती है.
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हकीम ने कहा कि उन्हें खुशी होगी अगर उनके योगदान से टीके के अनुसंधान में मदद मिलती है.
मंत्री को टीका देने से पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया ताकि पता चल सके कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है.
बता दें कि वैक्सीन का परीक्षण प्रायोगिक तौर पर 1000 से अधिक स्वयंसेवकों पर किया जाएगा. एनआईसीईडी के प्रमुख शांता दत्ता ने कहा, यह अब तक दो से तीन लोगों पर ही यह किया जा रहा था.
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण चल रहे हैं. भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रायोगिक अनुप्रयोग भी चल रहे हैं. इस बीच, कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण न केवल कोलकाता में एनआईसीई़डी में शुरू हो रहा है, बल्कि कोलकाता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन (एसटीएम) में एक और वैक्सीन का परीक्षण इस दिसंबर के अंत में शुरू होने वाला है.