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बिहार पुलिस के 'पर्चे' के विदेशी अखबार में चर्चे, तेजस्वी-चिराग ने साधा निशाना - हिटलर से प्रेरित हो रहे नीतीश

बिहार सरकार के नए आदेश पर विदेशी अखबार ने लिखा है कि पीएम मोदी के सहयोगी जेडीयू शासित राज्य बिहार में पुलिस ने एक ऐसा नियम बनाया है, जिसमें प्रदर्शन के दौरान नियम तोड़ने वालों को सरकारी नौकरी और सरकारी ठेका नहीं मिलेगा.

नीतीश सरकार की चर्चा विदेश में
नीतीश सरकार की चर्चा विदेश में

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Published : Feb 5, 2021, 3:16 PM IST

पटना:बिहारपुलिस मुख्यालय ने एक चिट्ठी जारी की थी, जिसमें जिक्र किया गया था कि प्रदर्शन के नियमों को तोड़ने वालों को बिहार में सरकारी नौकरी या सरकारी ठेका नहीं मिलेगा. इसके बाद तो बिहार में सियासी बवाल मच गया. विपक्ष को मुद्दा मिल गया. ये आदेश 1 फरवरी को जारी किया गया था.

दरअसल, बिहार सरकार के नए आदेश का विदेशी अखबार ने भी जिक्र किया है. जिसे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी ने ट्वीट कर नीतीश सरकार पर हमला बोला है.

विदेशी अखबार ने लिखा है कि पीएम मोदी के सहयोगी जेडीयू शासित राज्य बिहार में पुलिस ने एक ऐसा नियम बनाया है, जिसमें प्रदर्शन के दौरान नियम तोड़ने वालों को सरकारी नौकरी और सरकारी ठेका नही मिलेगा. मतलब वैसे लोगों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलेगी.

विदेशी अखबार को कोट करते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है 'गांधीवाद की दिखावटी बात करने वाले जेपी आंदोलन से निकले कथित नेता की तानाशाही के चर्चे और पर्चे अब विदेशों में छप रहे हैं. सोशल मीडिया पर लिखने से जेल, धरना-प्रदर्शन करने पर नौकरी से वंचित करने के तुगलकी फरमान सुनाए जा रहे हैं. लोकतंत्र की जननी बिहार को एनडीए सरकार अपमानित कर रही है.'

एलजेपी ने भी नीतीश सरकार को घेरा

वहीं, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी ने इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरा है. एलजेपी ने ट्वीट कर लिखा है कि 'अमेरिका के अखबार में महात्मा गांधी के विचारों का गला घोंट कर हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के विचारों से प्रेरित बिहार प्रदेश प्रशासन के बेहद कायरना फरमान की चर्चा की है. नीतीश सरकार के खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने के लिए जारी बेतुके फरमान की चर्चा विश्व भर में हो रही है.'

जिस पर मचा है बवाल उस चिट्ठी में क्या है?
दरअसल, 1 फरवरी को बिहार पुलिस मुख्यालय ने अधिकारियों को एक चिट्ठी लिखी है. चिट्टी में लिखा कि 'यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पात्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पाएंगे.'

पढ़ें- बिहार में प्रदर्शन करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं! मचा सियासी घमासान

इसका सौ फीसदी पालन किया जाए, इसके लिए पुलिस महकमे के ऊपर से नीचे तक के अफसरों को निर्देश दिया गया है. इस चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि 'प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संबंधित थाना द्वारा सभी अभिलेखों यथा-अपराध अनुक्रमणी भाग-2 अल्फाबेटिकल पंजी, प्राथमिकी, आरोप-पत्र एवं अन्य सभी आवश्यक अभिलेखों का अध्ययन किया जाएगा. किसी भी परिस्थिति में चूक नहीं होनी चाहिए. पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन पूर्ण और सही-सही हो, यह संबंधित थानाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी.'

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