हैदराबाद : राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत साल 1985 में हुई थी. इसका उद्देश्य भारत में नेत्रदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को वंचितों पर करीब से नजर डालने के लिए प्रोत्साहित करना है.
दृष्टिहीनता शायद मोतियाबिंद, अपवर्तक त्रुटि, मोतियाबिंद, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन, मधुमेह रेटिनोपैथी और कॉर्नियल दृष्टिहीनता जैसी कई स्थितियों का परिणाम है जो दुनिया भर में दृष्टिहीनता के चौथे प्रमुख कारण के रूप में है.
राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े का लक्ष्य
- मृत्यु के बाद लोगों को अपनी आंखें दान करने के लिए प्रोत्साहित करें
- लोगों को शिक्षित करें कि मृत्यु के बाद नेत्रदान से कोई नुकसान नहीं होता है.
- नेत्र प्रत्यारोपण की आवश्यकता के बारे में ज्ञान का प्रसार.
नेत्रदान के बारे में तथ्य
- मृत्यु के बाद ही कोई आंखें दान कर सकता है और मृत्यु के 4 से 6 घंटे के भीतर, आंखों को केवल एक पंजीकृत चिकित्सक द्वारा हटाया जाना चाहिए.
- आंखों को हटाने के लिए नेत्र बैंक की टीम को मृतक के घर या अस्पताल का दौरा करने की आवश्यकता होती है.
- पूरी प्रक्रिया के दौरान आंखों को हटाने में देरी नहीं होती है और ना ही अंत्येष्टि में बाधा आती है.
- किसी भी प्रकार के संचारी रोगों को नियंत्रित करने के लिए थोड़ी मात्रा में रक्त लिया जाता है. आंखों को हटाने से विघटन नहीं होता है और किसी भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचती है. इसके साथ ही दाता और प्राप्तकर्ता दोनों की पहचान गोपनीय रखी जाती है.