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नेत्रदान का संकल्प लेकर इसे परिवार की परंपरा बनाएं

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक मनाया जाता है. दुनिया भर में दृष्टिहीनों की संख्या काफी अधिक है जिनमें से कई तो जन्मजात ही दृष्टिहीन होते हैं. ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों के कारण भी कई लोग अपनी आंखें गवां बैठते हैं. हम सभी लोग आंखों का महत्व समझते हैं और इसीलिए इसकी सुरक्षा भी हम बड़े पैमाने पर करते हैं.

NATIONAL EYE DONATION FORTNIGHT
नेत्रदान करेंगे, दुनिया फिर से देखेगे

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Published : Aug 25, 2020, 10:35 AM IST

Updated : Aug 25, 2020, 1:15 PM IST

हैदराबाद : राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत साल 1985 में हुई थी. इसका उद्देश्य भारत में नेत्रदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को वंचितों पर करीब से नजर डालने के लिए प्रोत्साहित करना है.

दृष्टिहीनता शायद मोतियाबिंद, अपवर्तक त्रुटि, मोतियाबिंद, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन, मधुमेह रेटिनोपैथी और कॉर्नियल दृष्टिहीनता जैसी कई स्थितियों का परिणाम है जो दुनिया भर में दृष्टिहीनता के चौथे प्रमुख कारण के रूप में है.

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े का लक्ष्य

  • मृत्यु के बाद लोगों को अपनी आंखें दान करने के लिए प्रोत्साहित करें
  • लोगों को शिक्षित करें कि मृत्यु के बाद नेत्रदान से कोई नुकसान नहीं होता है.
  • नेत्र प्रत्यारोपण की आवश्यकता के बारे में ज्ञान का प्रसार.

नेत्रदान के बारे में तथ्य

  • मृत्यु के बाद ही कोई आंखें दान कर सकता है और मृत्यु के 4 से 6 घंटे के भीतर, आंखों को केवल एक पंजीकृत चिकित्सक द्वारा हटाया जाना चाहिए.
  • आंखों को हटाने के लिए नेत्र बैंक की टीम को मृतक के घर या अस्पताल का दौरा करने की आवश्यकता होती है.
  • पूरी प्रक्रिया के दौरान आंखों को हटाने में देरी नहीं होती है और ना ही अंत्येष्टि में बाधा आती है.
  • किसी भी प्रकार के संचारी रोगों को नियंत्रित करने के लिए थोड़ी मात्रा में रक्त लिया जाता है. आंखों को हटाने से विघटन नहीं होता है और किसी भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचती है. इसके साथ ही दाता और प्राप्तकर्ता दोनों की पहचान गोपनीय रखी जाती है.

जो लोग नहीं कर सकते हैं नेत्रदान
एड्स, हेपेटाइटिस बी और सी, रेबीज, सेप्टीसीमिया, तीव्र ल्यूकेमिया, टेटनस, हैजा, एन्सेफलाइटिस और मेनिन्जाइटिस जैसे संक्रामक रोगों से पीड़ित अपनी आंखें दान नहीं कर सकते हैं.

अपर्याप्त नेत्रदान के कारण
प्रचलित गलतफहमी और लोगों के बीच असावधानी साथ ही अपर्याप्त और सुसज्जित नेत्र बैंक दानदाताओं और दान की कमी के पीछे कुछ प्राथमिक कारण हैं.

आंकड़े
लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल के अनुसार दुनिया भर में लगभग 36 मिलियन लोग दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं और भारत में लगभग 8.8 मिलियन लोगों के साथ उस दुनिया के एक-चौथाई लोग भी है. जो दृष्टिहीन हैं. दृष्टि हानि निश्चित रूप से सबसे अधिक परेशान करने वाली असमर्थता है.

देश में कॉर्नियल दृष्टिहीनता की उच्च घटनाओं को पूरा करने के लिए हर साल लगभग 2,50,000 कॉर्निया की आवश्यकता के बावजूद, हर साल दान किए गए कॉर्निया की कुल संख्या 25,000 जितनी कम है.

Last Updated : Aug 25, 2020, 1:15 PM IST

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