अलीपुरद्वार/पश्चिम बंगाल : अलीपुरद्वार जिले से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पोरोबस्ती गांव है. कालचीनी ब्लॉक में बसा यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ है. टोटो, बोरो और अन्य जनजातियों के साथ-साथ राभस के मंगोलिया समुदाय को भी यहां प्रमुख स्थान मिला है और पोरोबस्ती में ही रहकर यह लोग घर के काम-काज करते हैं.
देशभर में फैली कोरोना महामारी से लोग काफी परेशान हैं. यहां पर अब अधिकतर राभा जनजाति की महिलाएं ही हैं, क्योंकि पुरुष काम की तलाश में केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में गए हैं और लॉकडाउन के चलते वह दूसरे राज्यों से यहां वापस नहीं आ पाए.
राज्य सरकार ने यहां पर राशन की कुछ व्यवस्था की है, लेकिन इतने कम राशन से इनको भरपूर मदद नहीं मिल पाती है. इसलिए महिलाएं अब जंगल जा रही हैं और अपने लिए जंगली फलों की व्यवस्था खुद ही कर रही हैं.
वहीं इस पर यहां रहने वाली एक महिला रूपाली राभा का कहना है कि मेरे पति कुछ महीने पहले केरल गए थे और वह राजमिस्त्री का काम करते हैं. अब कोरोना की वजह से सब कुछ बंद है और उसके पास कोई काम नहीं है और वह वहां से वापस भी नहीं आ पा रहे हैं. हमें खिलाने के लिए यहां कोई भी नहीं है. कुछ भी नहीं बचा है. जैसे-तैसे हम जंगली फल लाकर बच्चों को खिलाने की कोशिश करते हैं. यह एक बुरे सपने जैसा है.