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मेडिकल सीटों पर आरक्षण को लेकर तत्काल कदम उठाए तमिलनाडु सरकार : विपक्षी दल

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शैक्षणिक सत्र 2020-21 के मेडिकल, स्नातकोत्तर और डेन्टल पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटे में राज्य द्वारा छोड़ी गईं मेडिकल सीटों में से 50 प्रतिशत कोटा देने का तमिलनाडु सरकार और अन्नाद्रमुक का अनुरोध ठुकरा दिया. इसके बाद विपक्षी दलों ने अन्नाद्रमुक सरकार से मामले में तत्काल कदम उठाने की मांग की है.

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तमिलनाडु सरकार

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Published : Oct 26, 2020, 10:58 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के विपक्षी दलों ने अन्नाद्रमुक सरकार से अखिल भारतीय कोटे में राज्य द्वारा छोड़ी गईं मेडिकल की सीटों में से 50 प्रतिशत पर आरक्षण लागू करने को लेकर तत्काल कदम उठाने की मांग की है.

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शैक्षणिक सत्र 2020-21 के मेडिकल, स्नातकोत्तर और डेन्टल पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटे में राज्य द्वारा छोड़ी गईं मेडिकल सीटों में से 50 प्रतिशत कोटा देने का तमिलनाडु सरकार और अन्नाद्रमुक का अनुरोध ठुकरा दिया.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय पीठ ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र के दौरान 50 प्रतिशत कोटा लागू करने के लिए अंतरिम आग्रह के आवेदन खारिज कर दिए.

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल सीटों में 50 फीसदी कोटा की याचिका खारिज

द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश से निराशा हुई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वह सुनिश्चित करें कि मौजूदा अकादमिक वर्ष से आरक्षण लागू हो.

स्टालिन ने मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें सामाजिक न्याय की रक्षा करने का नाटक छोड़कर तत्काल आरक्षण लागू कराने के लिए मोदी पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहिए. द्रमुक नेता ने पलानीस्वामी से यह भी घोषणा करने को कहा कि यदि इस साल से ही आरक्षण नहीं दिया जाता तो भाजपा के साथ कोई चुनावी गठबंधन का सवाल ही नहीं होगा.

तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के एस अलागिरि ने आरोप लगाया कि इस मामले को उच्चतम न्यायालय में संभालने में भाजपा नीत केन्द्र और अन्नाद्रमुक द्वारा की गई लापरवाही के चलते पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ धोखा हुआ है.इसके अलावा भाकपा अन्नाद्रमुक के सहयोगी दल पीएमके ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निराशा व्यक्त की है.

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