नैनीताल: महात्मा गांधी ऐसे व्यक्तित्व का नाम है, जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाई थी. उनकी एक आवाज पर लाखों लोगों का कारवां उनके पीछे चलता था. गांधी जी के जुनून ने देश को आजादी तो दिलाई और मरने के बाद भी वह लोगों के दिलों में अमर हैं.
वहीं गांधी जी का देवभूमि से भी काफी लगाव रहा था. उनकी नैनीताल से बागेश्वर तक की यात्रा ने लोगों के दिलों में आजादी की चिंगारी को और भड़का दिया था. लेकिन अफसोस की बात है कि उनकी कई विरासतें आज खंडहर में तब्दील हो रही है.
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जानकार बताते हैं कि गांधी जी के इस यात्रा में कई रूप में नजर आते थे. कभी वे समाजसेवी तो कभी कुशल राजनीतिज्ञ और कभी आध्यात्मिक संत के रूप में लोगों से मुखातिब होते थे.
महात्मा गांधी ने नैनीताल से बागेश्वर तक की यात्रा के दौरान लोगों को आजादी की लड़ाई के लिये प्रेरित किया था. लेकिन आज गांधी के कुमाऊं दौरे की कई विरासतें देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं. उन्हीं में से एक ताकुला स्थित गांधी मंदिर भी है.
आपको बता दें, 14 जून 1929 को गांधी जी ताकुला पहुंचे थे. इसके अगले दिन उन्होंने महिलाओं को संबोधित किया था. गांधी जी के संबोधन से महिलाओं में ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपने आभूषण दान दे दिए.