नई दिल्लीः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के ममल्लापुरम में शी जिनपिंग से मुलाकात की. इसके बाद शनिवार को दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक होगी. इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि इस बैठक से दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे.
ईटीवी भारत से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि दोनों देशों के बीच का रिश्ता मुकाबला, सहयोग और टकराव का है और भारत-चीन को अपनी बेहतरी के लिये इन्हीं तीन बातों को ध्यान में रखकर बात करनी होगी.
सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के रिश्तों की शुरुआत 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान हुई. इसमें बॉर्डर एवं सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में आपसी सहमती बनी और यह निश्चय किया कि अब यह मामला दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएंगे.
बाफना ने कहा कि सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच अभी तक ज्यादा बातचीत नहीं हुई है लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि पिछले 50 सालों में जो दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा रेखा है और वहां पर किसी भी तरह की कोई गोलीबारी नहीं हुई है.
उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश यह चाहते हैं कि वह अपनी आपसी समस्याओं का समाधान बिना हिंसा के निकाले और उनके जो मुख्य मुद्दे हैं उनकी असलियत को समझते हुए आगे बढ़े.
बकौल सुरेश बाफना, मोदी सरकार आने के बाद चीन पाकिस्तान के बीच अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में दोनों देश के बीच रिश्ता गहरा हो गया है. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते के बीच पाकिस्तान हमेशा से रहा है और इसे चीन को समझना होगा.
चीन-पाकिस्तान की एकता का उदाहरण देते हुए बाफना ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया. जो यह दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना चाहते हैं.
सुरेश बाफना ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है और इस पर चीन अंदरूनी स्तर पर किसी भी तरीके से भारत का साथ नहीं देना चाहता है.