नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के मामले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के कानून की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करने का शुक्रवार को फैसला किया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने कुछ संशोधनों के साथ कानून को सही ठहराने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
न्यायालय ने यद्यपि स्पष्ट किया कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले का वह पहलू लागू नहीं होगा, जिसके तहत पूर्व तिथि यानी 2014 से इसे अमल में लाने की अनुमति दी गई थी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि आरक्षण पर उच्च न्यायालय का आदेश पूर्व तिथि से लागू नहीं होगा.'
पीठ ने यह बात तब कही जब एक अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने एक आदेश दिया है, जिसके तहत तकरीबन 70 हजार रिक्तियों पर 2014 से यह आरक्षण लागू होगा.
पीठ उच्च न्यायालय के 27 जून के आदेश के खिलाफ जे लक्ष्मण राव पाटिल सहित दो याचिकाकर्ताओं की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने महाराष्ट्र में शैक्षिणक संस्थाओं और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिये कोटा निर्धारित करने संबंधी कानून की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था.