नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुना दिया है.सीजेआई ने साफ तौर पर कह दिया है कि इस मामले पर स्पीकर फैसला ले. स्पीकर को फैसला लेने के लिए कोई निर्धारित समयसीमा नहीं दी गई है. 15 विधायकों पर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा कि वे विश्वा मत में हिस्सा ले. इसका मतलब है कि विधायकों के पास सत्र में भाग न लेने का भी विकल्प है.
गुरुवार को इस मामले पर फ्लोर टेस्ट (शक्ति प्रक्षिण) होगा. स्पीकर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. आब सीएम कुमारस्वामी के सामने बड़ा संकट है...उन्हे बहुमत साबित करना पड़ेगा. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा भी दावा कर रहे हैं कि वे बहुमत के करीब हैं.
कर्नाटक सियासी संकट पर SC
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता है.
- उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि अंसतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर अध्यक्ष के फैसले को उसके समक्ष रखा जाए.
- इस्तीफे पर फैसला लेने के कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार अदालत के निर्देश या फैसले से प्रभावित नहीं होना चाहिए न्यायालय.
- उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा के अध्यक्ष को उनके द्वारा उचित समझे जाने वाली अवधि के भीतर 15 असंतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने की मंजूरी दी.
- उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस-जद(एस) के असंतुष्ट 15 विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं करने का निर्देश दिया.
फैसला आने से कुछ ही घंटे पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतेजार कर रहे हैं. वे विधायक जिन्होंने इस्तीफे दिए हैं उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़गा. गुरुवार को सीएम कुमारस्वामी को बहुमत सबित करनी है. हम बहुमत के करीब हैं. आगे देखते हैं क्या होगा.
क्या है पूरा मामला:
बता दें कि अदालत ने मंगलवार को इस मामले में सभी पक्षों की ओर से जोरदार दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. कुमारस्वामी और विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों की याचिका पर विचार करने के न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया. वहीं, बागी विधायकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार बहुमत खो चुकी गठबंधन सरकार को सहारा देने की कोशिश कर रहे हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संवैधानिक पदाधिकारी होने के नाते उन्हें इन विधायकों के इस्तीफे पर पहले फैसला करने और बाद में उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग पर फैसला करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता.
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी गुरुवार को विधानसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव पेश करेंगे और अगर विधानसभा अध्यक्ष इन बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं तो उनकी सरकार उससे पहले ही गिर सकती है.
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता पर फैसला करने से नहीं रोक रही है, बल्कि उनसे सिर्फ यह तय करने को कह रही है क्या इन विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है.
पीठ ने कहा कि उसने दशकों पहले दल-बदल कानून की व्याख्या करने के दौरान विधानसभा अध्यक्ष के पद को 'काफी ऊंचा दर्जा' दिया था और 'संभवत: इतने वर्षों के बाद उसपर फिर से गौर करने की आवश्यकता है.'
पीठ ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता के मुद्दे पर परस्पर विपरीत दलीलें हैं और 'हम जरूरी संतुलन बनाएंगे.'
सत्तारूढ़ गठबंधन को विधानसभा में 117 विधायकों का समर्थन है. इसमें कांग्रेस के 78, जद (एस) के 37, बसपा का एक और एक मनोनीत विधायक शामिल हैं. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष का भी एक मत है.
दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी भाजपा को 107 विधायकों का समर्थन हासिल है. इन 225 सदस्यों में एक मनोनीत सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं.
अगर इन 16 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 101 हो जाएगी. मनोनीत सदस्य को भी मत देने का अधिकार होता है.
विधानसभा अध्यक्ष कुमार ने कहा कि वह संविधान के अनुरूप काम कर रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं.
कुमार ने कोलार जिले में संवाददाताओं से कहा, 'आखिरकार, उच्चतम न्यायालय क्या फैसला देता है उसका अध्ययन करने के बाद ही मैं जवाब दूंगा.' उन्होंने कहा, 'मैं केवल अपना कर्तव्य निभाऊंगा..सभी को कल तक इंतजार करना होगा.' शक्ति परीक्षण से पहले अपने विधायकों को एक साथ रखने के लिए कांग्रेस, भाजपा और जद (एस) ने अपने विधायकों को रिसॉर्ट्स में भेज दिया है.
कांग्रेस ने मंगलवार को इस आशंका के बीच अपने विधायकों को शहर के एक होटल से बाहरी इलाके में एक रिसॉर्ट में भेज दिया कि उसके कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं.
न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष की उन दलीलों पर भी सवाल खड़े किये कि पहले अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला किया जाना है. न्यायालय ने पूछा कि 10 जुलाई तक वह क्या कर रहे थे जब इन विधायकों ने छह जुलाई को ही इस्तीफा दे दिया था.
पीठ ने कहा, 'छह जुलाई को उन्होंने (बागी विधायकों) ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. विधानसभा अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय के 11 जुलाई को आदेश देने तक कुछ भी नहीं किया.'