नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई करने के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत नेनागरिकता संशोधन कानून पर रोक से भी इनकार कर दिया है.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पर रोक से इनकार कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वह जनवरी में याचिका पर सुनवाई करेगा.
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश और त्रिपुरा राज परिवार के वंशज प्रद्योत किशोर देव बर्मन की याचिकाओं पर आज सुनवाई की गई थी.
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोनों याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अपील करते हुए कहा था कि इन पर इस संबंध में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर याचिका के साथ ही सुनवाई की जाए, जिस पर सुनवाई होनी है.
सिंघवी ने कहा, 'मैंने नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देते हुए दो याचिकाएं दाखिल की हैं. एक कांग्रेस की ओर से, दूसरी त्रिपुरा के पूर्व महाराजा की ओर से. मैं बस यही चाहता हूं कि आईयूएमएल की इसी तरह की एक याचिका के साथ इन पर 18 दिसंबर को सुनवाई होनी चाहिए.'
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तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई हैं जिनमें नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी कानून की वैधता को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है.
उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को असंवैधानिक, अमान्य तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित करने का निर्देश जारी करने की मांग की है.