नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अवमानना मामले पर कोर्ट से लगी फटकार के बाद अब कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बार फिर बड़ा झटका लगा है.
दरअसल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि गुजरात से राज्य सभा सीट पर एक साथ चुनाव कराए जाएं. लेकिन कांग्रेस पार्टी की इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा है.
कांग्रेस की थ्योरी थी कि गुजरात में राज्यसभा की एक सीट उसे मिल जाएगी लेकिन तकनीकी और कानूनी रूप से कांग्रेस की दलील सुप्रीम कोर्ट में कमजोर पड़ गई. सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई अर्जी के बाद अब पार्टी के अंदर ही इस बात को लेकर टकराव है कि ऐसी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में ले जाने का कोई मतलब नहीं था.
यह टकराव कांग्रेस पार्टी के लीगल यूनिट में है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी की एक यूनिट इस दलील को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने को तैयार नहीं थी. उनका मानना था इसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनाया जाना चाहिए था. जैसे राफेल राजनीतिक मुद्दा था. जब यह सुप्रीम कोर्ट में गया तो पार्टी की भद पिट गई.
सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को मिले झटके को लेकर जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता राहुल गांधी के बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष को नोटिस जारी कर अवमानना के मामले में जवाब मांगा था. परिणाम यह कि चुनाव से ठीक पहले राहुल को सुप्रीम कोर्ट से लिखित में माफी मांगनी पड़ी थी, जिसके कारण जनता में यह संदेश गया की रॉफेल में दलाली के कांग्रेस अध्यक्ष की मांग में कोई दम नहीं है . जिसका आखिर में चुनाव पर बहुत बुरा असर पड़ा.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद गुजरात से राज्यसभा की 2 सीट खाली हुई. गांधीनगर से लोकसभा चुनाव जीते पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अमेठी से राहुल गांधी को हराकर मंत्री बनी स्मृति ईरानी कि सीट पर अब चुनाव होना है.
चुनाव आयोग ने राज्य सभा की इन दोनों सीट पर 5 जुलाई को अलग-अलग समय में चुनाव कराने का फैसला किया है कांग्रेस को लगता था की यह चुनाव अलग-अलग दिन होगा जो कि गैर कानूनी है.
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गुजरात कांग्रेस के वकील विवेक तंखा ने सुप्रीम कोर्ट में जो दलील दी उसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक रेगुलर वैकेंसी भरने के लिए एक साथ चुनाव होते हैं यानी कि 6 साल की राज्यसभा अवधि समाप्त होने के बाद खाली सीट पर जब चुनाव होंगे वह एक ही दिन होंगे .लेकिन जब कोई सी आकस्मिक खाली होती हैं उसके लिए एक दिन में चुनाव एक साथ कराने का नियम नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेसकांफ्रेस में इस तरह की याचिका दाखिल करने की अनुमति पार्टी से की थी. सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले में राहुल गांधी को माफी मांगने के मसले में भी सिंघवी ही वकील थे.
अब पार्टी के खेमे का मानना है कांग्रेस ने जो तर्क सुप्रीम कोर्ट में दिए वह दलील कमजोर थे. कानून संगत नही थे. इससे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनाया जाना चाहिए था. जैसे राफेल एक राजनीतिक मुद्दा था. इसे सुप्रीम कोर्ट में ले जाने के बाद राहुल को गलत ब्रीफिंग से सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की व्याख्या गलत ढंग से कर दी गई है. जिससे देश की जनता में संदेश गलत चला गया .कई बार कुछ मसले राजनीतिक होते हैं और उसे राजनीतिक ही रहने देना चाहिए.