दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने की पुनर्विचार याचिका खारिज - CRIMINALIZING ADULTERY

सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री को अपराध मानने से एक बार फिर इनकार कर दिया है. इससे पहले 27 सितंबर 2018 को तत्कालीन न्यायधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने माना था कि व्यभिचार तलाक के लिए एक आधार हो सकता है, लेकिन जोड़ों के लिए एक दूसरे के साथ वफादार रहने की शर्त नहीं हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

By

Published : Jun 29, 2020, 9:56 PM IST

नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने अदालत के 2018 के आदेश को संशोधित करने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. इसमें एडल्ट्री यानि व्यभिचार को अपराध नहीं माना गया था.

27 सितंबर 2018 को तत्कालीन न्यायधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने माना था कि व्यभिचार तलाक के लिए एक आधार हो सकता है, लेकिन जोड़ों के लिए एक दूसरे के साथ वफादार रहने की शर्त नहीं हो सकता है. कोर्ट ने एडल्ट्री को अपराध नहीं मानते हुए कहा था कि व्यभिचार को अपराध से जोड़ना ठीक नहीं होगा.

उस आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका ऑल रिलिजियस एफिनिटी मूवमेंट सेक्रेटरी ने दायर की थी.

मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की पीठ ने आदेशों को संशोधित करने से इनकार कर दिया और इसे खारिज कर दिया.

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- अब तक भारत में क्यों हैं विदेशी तबलीगी

ABOUT THE AUTHOR

...view details