नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों को कथित रूप से पीट-पीट कर मार दिए जाने की घटना के मामले की जांच तथा इसमें लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में दाखिल आरोप पत्र भी पेश करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि वह रिपोर्ट का अवलोकन करना चाहती है.
केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मीडिया की खबरों के अनुसार इस मामले में दस हजार से ज्यादा पन्नों का आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि न्यायालय को इस तथ्य पर विचार करना चाहिए कि क्या इस अपराध में कोई पुलिसकर्मी संलिप्त था या क्या ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जरूरत थी.
पीठ ने इस मामले को अब तीन सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है.
शीर्ष अदालत ने पालघर में दो साधुओं की कथित रूप से पीट पीट कर हत्या के मामले की सीबीआई या एनआईए से जांच के लिये दायर याचिकाओं पर 11 जून को राज्य सरकार से जवाब मांगा था.
पहली याचिका 'श्रीपंच दषबन जूना अखाड़ा' के साधुओं और मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने दायर की हैं. इसमेx आरोप लगाया गया है कि राज्य की पुलिस पक्षपातपूर्ण तरीके से इस घटना की जांच कर रही है.
दूसरी याचिका घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है, जिसमें उन्होंने इस घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को सौंपने का अनुरोध किया है,
एक याचिका में महाराष्ट्र सरकार के अलावा केन्द्र, सीबीआई और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को पक्षकार बनाया गया है.
इस घटना में मारे गये तीनों व्यक्ति कोविड-19 महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन के बीच मुंबई में कांदिवली से कार से गुजरात में सूरत जा रहे थे, जहां उन्हें किसी परिचित के अंतिम संस्कार में शामिल होना था, इनकी गाड़ी को गढ़चिंचली गांव में 16 अप्रैल की रात में पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने रोक ली और उन पर हमला कर दिया. इस हमले में दोनों साधुओं सहित तीन व्यक्ति मारे गये थे.
मारे गये व्यक्तियों में 70 वर्षीय महाराज कल्पवृक्षगिरि, 35 वर्षीय सुशील गिरि महाराज और कार चला रहा 30 वर्षीय नीलेश तेलगड़े शामिल थे.
शीर्ष अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिये दायर एक याचिका पर एक मई को सुनवाई करते हुये महाराष्ट्र सरकार को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
श्रीपंच दषबन जूना अखाड़ा के साधुओं की याचिका में इस मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुये महाराष्ट्र पुलिस की जांच में दुर्भावना की आशंका व्यक्त की गयी थी.
याचिका में दावा किया गया है कि इस घटना के बाद ऐसे अनेक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया और खबरों में आये जिनमें वहां मौजूद पुलिस की संलिप्तता की भूमिका का पता चलता था और उन्हें देखा जा सकता था कि वे तीनों व्यक्तियेां को भीड़ के हवाले कर रही है.
इस मामले में पुलिस ने एक सौ से भी ज्यादा व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था.
इस मामले में महाराष्ट्र की सीआईडी ने 16 जुलाई को धानू तालुका में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 126 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. सीआईडी का दावा है कि उसने 808 संदिग्धों और 118 गवाहों से पूछताछ के बाद आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटायें हैं.
सीआईडी के अनुसार उसने इस मामले में 154 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में 11 नाबालिग भी पकड़े गये हैं.