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केंद्र सरकार सुनिश्चित करे, दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो. अदालत ने वायु प्रदूषण से संबंधित याचिकाओं को दीपावली अवकाश के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

Supreme Court
उच्चतम न्यायालय

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Published : Nov 6, 2020, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो. इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग आज से काम शुरू कर देगा. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इसके साथ ही वायु प्रदूषण से संबंधित याचिकाओं को अब दीपावली अवकाश के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

एमएम कुट्टी बने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष
केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शुक्रवार से काम शुरू कर देगा और सरकार ने आयोग के सदस्यों की भी नियुक्ति कर दी है.

वायु प्रदूषण के संबंध में हाल ही में जारी अध्यादेश का जिक्र करते हुए मेहता ने कहा कि वह इसे रिकॉर्ड पर ले आएंगे. पीठ ने कहा कि वह ऐसा कर सकते हैं लेकिन इस मामले में अब दीपावली अवकाश के बाद सुनवाई होगी.

'हमें आयोग से कोई लेना-देना नहीं'
पीठ ने कहा कि आपको सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि शहर में स्मॉग नहीं हो. हमें आयोग से कोई लेना-देना नहीं है. यहां बहुत से आयोग हैं और अनेक लोग इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन आप सिर्फ यह सुनिश्चित करें कि शहर में कोई स्मॉग नहीं हो. मेहता ने कहा कि सरकार युद्ध स्तर पर इस समस्या से निपटने के सभी प्रयास कर रही है.

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले में याचिका दायर करने वाले आदित्य दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि आयोग का अध्यक्ष एक नौकरशाह है. इसकी बजाय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता था. उन्होंने कहा कि आयोग में स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई सदस्य नहीं है. पीठ ने कहा कि आयोग देश में किसी से भी बात कर सकता है.

'हम सलाह नहीं देना चाहते'
विकास सिंह का कहना था कि अध्यादेश में वायु प्रदूषण के अपराधों का वर्गीकरण नहीं है और एक करोड़ रुपये का जुर्माना तथा पांच साल की कैद कुछ मनामानीपूर्ण लगता है. पीठ ने कहा कि अध्यादेश में सभी आरोप गैर संज्ञेय है तो सिंह ने जवाब दिया कि ये संज्ञेय अपराध हैं. पीठ ने मेहता से कहा कि इसमें अपराधों का वर्गीकरण नहीं है तो मेहता ने कहा कि सरकार इसका जवाब देना चाहेगी. पीठ ने कहा कि हम उन्हें सलाह नहीं देना चाहते. ये सभी जानकार लोग हैं और एनजीओ के सदस्य भी हैं.

'हमारी अपनी कुछ सीमाएं'
मेहता ने कहा कि नव सृजित आयोग में गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के अलावा इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इसमे हैं और यह आज से ही काम शुरू कर देगा. सिंह ने कहा कि दिल्ली के हालात एकदम सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति जैसे हैं और इससे निबटने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने होंगे. पीठ ने कहा कि हम कानून की अदालत हैं. यह ऐसी समस्या है, जिससे कार्यपालिका को ही निबटना होगा. उनके पास धन, शक्ति और संसाधन है. हम अपनी जिम्मेदारी या कर्तव्यों से नहीं हट रहे हैं लेकिन इसे समझने के लिए हमारी अपनी कुछ सीमाएं हैं.

वायु प्रदूषण के मामले में निर्देश देने से पहले अध्यादेश देखेंगे
विकास सिंह ने कहा कि दीपावली अवकाश के बाद जब न्यायालय फिर खुलेगा तो तब तक यह (प्रदूषण) खत्म हो चुका होगा. पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दीपावली अवकाश के बाद ही विचार करेगी. मेहता ने 29 अक्टूबर को न्यायालय को सूचित किया था कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार एक अध्यादेश लाई है और उसे लागू कर दिया गया है. हालांकि, पीठ ने इस पर मेहता से कहा था कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी.

वायु की गुणवत्ता बदतर होती जा रही : विकास सिंह
इससे पहले, न्यायालय ने 26 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पराली जलाए जाने की रोकथाम के लिए पड़ोसी राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी के वास्ते शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश सोमवार को निलंबित कर दिया था. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि वायु की गुणवत्ता बदतर होती जा रही है और ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) लोकुर समिति को नियुक्त करने संबंधी आदेश पर अमल होने देना चाहिए.

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