नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज एक छात्र सिद्धार्थ बत्रा की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने गलती से आईआईटी बॉम्बे से अपना प्रवेश वापस ले लिया था और राहत के लिए अदालत चले गए थे. आज पारित एक अंतरिम आदेश में, अदालत ने सिद्धार्थ को अपने पाठ्यक्रम के लिए संस्था में शामिल होने की अनुमति दी और मामले में जवाबी हलफनामा भी मांगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर दिया था खारिज
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ बत्रा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले खारिज कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि आईआईटी ने उनके प्रतिनिधित्व पर विचार किया था और अब छात्र को स्वीकार करना संभव नहीं है. बत्रा ने अपनी जेईई एडवांस परीक्षा में 270 वीं रैंक हासिल की थी.
अदालत ने माना, सीट गलती से छोड़ गया था
आज अदालत ने माना कि वह अपनी सीट गलती से छोड़ गया था और अब आईआईटी चाहता है कि सिद्धार्थ प्रवेश के लिए एक और राउंड ले. जस्टिस कौल ने कहा कि वह एक मेधावी छात्र हैं और अच्छा रैंक हासिल कर चुके हैं. कोर्ट को यह बात समझ नहीं आ रही है कि सिद्धार्थ को दाखिला क्यों नहीं दिया जाना चाहिए?
पक्षकारों से मामले पर प्रतिक्रिया मांगी
आईआईटी के लिए उपस्थित वकील ने अदालत के सामने तर्क दिया कि प्रक्रिया में 8 चरण हैं और उसने उन सभी को पूरा कर लिया. इसके बाद उसने निकासी पत्र स्वीकार कर लिया, यह एक सचेत कदम था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बत्रा सीट पा चुके थे और इसलिए वेबसाइट से वापस आना चाहते थे. न की सीट छोड़ना चाहते थे. उनकी तरफ से वापस होने की गलत व्याख्या हुई. कोर्ट ने पक्षकारों से मामले पर प्रतिक्रिया मांगी और मामले को अवकाश के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.