नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दोबारा विचार करने की पहल की गई थी. हालांकि, 7 में से 6 सदस्यों के इसके खिलाफ होने की बात सामने आई है. करीब 100 अन्य मुस्लिम हस्तियों ने भी पुनर्विचार याचिका का विरोध किया है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज्जाक खान ने बताया कि हमारी बैठक में अधिकांश का निर्णय यह है कि अयोध्या मामले में समीक्षा याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज्जाक खान का बयान इससे पहले मशहूर अभिनेता नसीरूदुद्दीन शाह एवं शबाना आज़मी समेत देशभर की 100 जानी-मानी मुस्लिम शख्सियतों ने अयोध्या पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का सोमवार को विरोध किया.
इन शख्सियतों ने कहा है कि रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले के कुछ पक्षकारों का पुनर्विचार दायर करने के फैसला विवाद को जिंदा रखेगा और मुस्लिम कौम को नुकसान पहुंचाएगा.
पुनर्विचार याचिका दायर करने का विरोध करने वाले बयान पर दस्तखत करने वालों में इस्लामी विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार, कारोबारी, शायर, अभिनेता, फिल्मकार, थिएटर कलाकार, संगीतकार और छात्र शामिल हैं.
बयान में बताया गया है कि 'हम इस तथ्य पर भारतीय मुस्लिम समुदाय, संवैधानिक विशेषज्ञों और धर्मनिरपेक्ष संगठनों की नाखुशी को साझा करते हैं कि देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना निर्णय करने के लिए कानून के ऊपर आस्था को रखा है.'
बयान में कहा गया है कि इस बात से सहमति रखते हैं कि फैसला न्यायिक रूप से त्रुटिपूर्ण है लेकिन हमारा मजबूती से मानना है कि अयोध्या विवाद को जीवित रखना भारतीय मुसलमानों को नुकसान पहुंचाएगा और उनकी मदद नहीं करेगा. बयान पर दस्तखत करने वालों में शाह, आज़मी, फिल्म लेखक अंजुम राजबली, पत्रकार जावेद आनंद समेत अन्य शामिल हैं.
क्या था कोर्ट का फैसला
उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर को अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ भूमि को रामलला विराजमान को दे दी. पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी देने का आदेश दिया.
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी गुट) ने शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय किया है.
(एक्सट्रा इनपुट- भाषा)