देहरादून: महात्मा गांधी वे शख्सियत थे, जिनके विचारों ने ब्रिटिश हुकूमत को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. यही नहीं, अहिंसक आंदोलन ने देश में ऐसी क्रांति ला दी थी कि अंग्रेजों के भी चूल्हे हिल गए थे. गांधी जी के विचारों से कई लोग प्रभावित थे. गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिन्हें लोग आगे बढ़ा रहे हैं. आज हम ऐसे एक प्रख्यात पर्यावरणविद् से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जिन्हें सरकार पद्मविभूषण के सम्मान से नवाज चुकी है.
महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावितों में प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा भी एक हैं. जिन्हों पर्यवारण का "गांधी" भी कहा जाता है, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 92 बसंत देख चुके सुंदरलाल बहुगुणा के सामने जब पर्यावरण की बात आती है तो उनकी आंखों में पुरानी चमक लौट आती है. ईटीवी भारत संवाददाता ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर सुंदरलाल बहुगुणा से बात की. इस दरमियान उन्होंने खुलकर अपनी बातों को साझा किया. सुंदरलाल बहुगुणा ने कहा कि हम गांधी जी के सपने का भारत कायम नहीं कर सकें.
गांधी जी का सपना था कि गांव में स्वराज और स्वावलंबी गांव देश की बुनियाद बनें. उन्होंने कहा कि गांधी जी समाज को नशा मुक्ति देखना चाहते थे. लेकिन वर्तमान में हमने नशा पैसा कमाने का हथियार बना दिया है. गांधी जी एक व्यवहारिक क्रांतिकारी थे और वे अपने विचारों को व्यवहार में लाते थे. वे चाहते थे कि गांव-गांव में स्वराज, नशा मुक्ति और गांव विकास के पथ पर आगे बढ़ें. देश की आजादी की बात पर उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देश को रास्ता दिखाया. इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं. हमने केन्द्रीय शासन बनाया.
बहुगुणा बताते हैं कि उनकी एक बार गांधी जी से मुलाकात हुई और उन्होंने गांधी जी को बताया कि वे पर्वतीय अचंलों में स्वराज कायम कर रहे हैं, तो गांधी जी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि हिमालय की जितनी ऊंचाई पर तुम रहते हो तुमने उतना ही ऊंचा काम किया है. साथ ही गांधी जी ने उनसे कहा कि मेरी अहिंसा को धरती पर लाए हों.