हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है. इस बीमारी ने अब तक भारत में 26 हजार से अधिक लोगों को प्रभावित किया है और 800 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. हालांकि सरकार ने इस बीमारी से बचाव के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं. ये दिशा निर्देश लोगों को कोरोना वायरस से तो सुरक्षित कर देंगे, लेकिन भविष्य में देशवासियों के सामने नई चुनौतियां पेश करेंगे. उन्हीं चुनौतियों में से एक चुनौती है पानी का संकट, जिसका सामना न केवल भारत बल्कि कई अन्य देश भी कर रहे हैं.
भारत में नगरपालिका और पंचायत प्रशासकों के लिए, पानी के संकट से निबटने के लिए एक कठिन लड़ाई है.
भारत में आम तौर पर अप्रैल और मई के महीने ऐसे होते हैं, जब शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक देश का एक बड़ा हिस्सा पानी के संकट का सामना करता है.
पूरा प्रशासन जब कोरोना वायरस से निबटने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, तो ऐसे समय में देश के एक बड़े हिस्से की स्थिति बेहद खराब हो सकती है.
भारत में गर्मियों में सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए पानी उपलब्ध कराना हमेशा एक गंभीर चुनौती रही है, विशेष रूप से इस वर्ष चुनौती अधिक है. चूंकि कोरोना के कारण हर अवसर पर हाथ धोना एक आवश्यकता बन गई है, लिहाजा पीने योग्य पानी की लाइनें चालू रखना सबसे आवश्यक हो गया है.
आम तौर पर इस अवधि के दौरान स्थानीय निकायों को पानी के नलके सूखने, पानी के पाइपों के रिसने, जल निकासी को दूषित करने वाले सीवेज और नालियों के अवरुद्ध होने की शिकायतें मिलती हैं.
ये सभी तनाव इस वर्ष भी विकसित होंगे, लेकिन संबंधित विभाग उन पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हैं. ऐसे में यह बड़ी चुनौती बनकर उभर सकती है.
कोविड-19 का प्रमुख योजनाओं पर प्रभाव
कोरोना वायरस जल संक्षरित कई अहम योजनाओं को प्रभावित कर सकती है.
अटल मिशन फॉर कायाकल्प और शहरी परिवर्तन योजना
अटल मिशन फॉर कायाकल्प और शहरी परिवर्तन (अमृत) के तहत शहरों में 92 प्रतिशत जलापूर्ति और सीवरेज परियोजनाओं के लिए 77,640 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से ठप पड़ी हैं.
जल शक्ति योजना
इस योजना के तहत 2020-21 के लिए 17 लाख नए घरेलू पानी के कनेक्शन प्रदान किए जाने हैं. इस वर्ष ये सभी लक्ष्य गंभीर तनाव में हैं. इस लक्ष्य को पूरा न होने से बीमारी फैलने का जोखिम बढ़ जाएगा.
नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए धन की कमी
शहरी स्तर पर धन की कमी अधिक स्थानिक है और इस साल शहर के लोगों को काफी परेशानी होगी. वर्षों से राज्यों ने अपनी नगर पालिकाओं और पंचायतों को वित्तपोषित रखा है. लेकिन लॉकडाउन के कारण ये वित्तीय समस्या का सामना कर सकती हैं.
कुछ अन्य रिपोर्ट की मुख्य बातें
दिसंबर 2015 में संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने पाया कि देश के 92 प्रतिशत जिलों में 1995 में भूजल विकास का सुरक्षित स्तर था, वहीं 2011 में यह घटकर 71 प्रतिशत रह गया.
नीति थिंक-टैंक NITI Aayog ने एक रिपोर्ट में कहा है कि 60 करोड़ भारतीय पहले से ही उच्च से अत्यधिक पानी के तनाव का सामना कर रहे हैं, जिससे दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 शहरों से भूजल खत्म हो जाएगा, जिससे लगभग 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे.
पेयजल और स्वच्छता विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2019 तक देश में केवल 18.33 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास ही पानी के कनेक्शन हैं.
विश्व बैंक का मुताबिक भारत में 21 प्रतिशत रोग जल और स्वच्छता कीकमी से जुड़े हुए हैं.
कोविड19 के दौरान जल संकट के प्रमुख मुद्दे
एक अनुमान से पता चलता है कि कोरोना के दौरान हर 20 सेकेंड के लिए प्रति व्यक्ति को हाथ धोने के लिए एक से दो लीटर स्वच्छ पानी की आवश्यकता होगी. इस दर के हिसाब से एक दिन में कई बार हाथ धोने के लिए, पांच व्यक्तियों के घर को कम से कम 50-70 लीटर अतिरिक्त पानी की आवश्यकता पड़ेगी.