हैदराबाद : बाल चिकित्सा अस्पताल, मोंटेफोर (सीएचएएम) और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के बाल रोग विशेषज्ञों, संक्रामक रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों के एक नवीनतम अध्ययन ने बच्चों में कोरोना वायरस के प्रभाव के बारे में बताया है.
जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित, रिपोर्ट में एक महीने से लेकर 21 साल के बीच के 46 कोरोना संक्रमितों की तुलना की गई है, जिन्हें या तो एक सामान्य यूनिट या फिर में पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर यूनिट (पीसीसीयू) में देखभाल मिली. अस्पताल में भर्ती बच्चों में कोविड-19 रोग के पूर्ण स्पेक्ट्रम के बारे में विस्तार से वर्णन करने के लिए यह संयुक्त राज्य अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा एकल-केंद्र अध्ययन है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि गहन देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों में उच्च स्तर की सूजन थी और सामान्य इकाई पर इलाज करने वालों की तुलना में उन्हें अतिरिक्त श्वास सहायता की आवश्यकता थी. पीसीसीयू में देखभाल में रखे बच्चों में से लगभग 80% में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआडीएस) था, जो आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार वयस्क COVID-19 रोगियों से जुड़ा होता है. और उनमें से लगभग 50% बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था.
मुख्य लेखक, एम. डी., एम.एससी, बाल रोग विशेषज्ञ, सीएचएएम और एनेस्थिसियोलॉजी आइंस्टीन के सहायक प्रोफेसर जैरी वाई चाओ ने कहा, 'हम जानते हैं कि वयस्कों में, मोटापा अधिक गंभीर बीमारी के जोखिम का कारक है. हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, हमारे अध्ययन में पाया गया कि आईसयू में भर्ती बच्चे सामान्य इकाई में भर्ती बच्चों की तुलना में कम मोटे थे.'